राजस्थान का मशहूर अजमेर दरगाह कमिटी ने लॉकडाउन की वजह से फंसे तीर्थयात्रियों और फंसे मजदूरों को अपने खर्च पर उनके घर भेजा। दरगाह ने रेलवे और बसो को इसके लिए एक बड़ी रकम भी चुकाई है. 25 मार्च को लॉकडाउन होने के कारण प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह, जहां सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. उन्होंने बंगाल के तक़रीबन 1200 लोगो को उनके घर अपनी खर्च पर भेजा है. जिसमे तीर्थयात्री और मजदूर शामिल है. लॉकडाउन होने की वजह से वे सभी यहाँ फंसे हुए थे.
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जहाँ एक तरफ सोशल मीडिया पर धार्मिक स्थलों को लेकर आलोचना की जा रही है की धार्मिक स्थलों में दान किये गए पैसो का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में किया जाए. ऐसे वक्त में ये खबर सामने आयी है.
दरगाह कमिटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने कहा की हमने लोगो को उनके घरो तक पहुँचाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी. सरकार से अनुमति मिलने के बाद रेलवे ने हमें ट्रेन उपलब्ध कराया। यात्रियों के खाने और टिकट के लिए हमने 8.28 लाख रुपये का मसौदा जारी किया। ट्रेन यात्रियों को अजमेर से लेकर बंगाल के दनकुनी के बीच चली. इस ट्रेन को चलाने के लिए बात तब शुरू हुई थी जब सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रैन को चलाने का फैसला नहीं लिया था.
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दरगाह समिति के अध्यक्ष मने कहा की मुगलसराय स्टेशन पर यात्रियों को खाना-पानी देने के लिए हमने रेलवे को पैसे चुकाए है. साथ ही उन्होंने कहा की इसके अलावा भी हमने मास्क और सेनिटाइजर देने के लिए भी पैसे चुकाए है. पठान ने कहा कि बंगाल के अलावा अन्य राज्यों के फंसे तीर्थयात्रियों और श्रमिकों को बसों में घर भेजा जाएगा और इस पूरी कवायद में समिति को 50 लाख रुपये का खर्च आएगा।
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आगे दरगाह के अध्यक्ष ने कहा की तीर्थयात्रियों में सबसे ज्यादा संख्या बंगाल के लोगो की थी इसलिए हमने ट्रेन पर विशेष ध्यान दिया। आंध्रप्रदेश और गुजरात सहित अन्य राज्यों के लोगो को घर भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की जा रही है. बता दें की जबसे लॉकडाउन हुआ है दरगाह समिति ने फंसे हुए लोगो को खाना और रहने के लिए स्थान भी अपने खर्च पर उपलब्ध करवा रहा था.
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यात्रियों को भेजने से पहले उनका मेडिकल किया गया. उसके बाद ही उन्हें सफर करने का आदेश जारी हुआ. इस यात्रा में कई ऐसे लोग थे जिनके पास टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे उन सभी ने दरगाह समिति का आभार जताया। बता दें की अजमेर से बंगाल पहुंचे यात्रियों का मेडिकल किया गया जिसके बाद उन्हें बसों के जरिये उनके घरो तक पहुँचाया जायेगा।
Source: HT