सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन ने बड़ी बात कही है. मुख्यमंत्री ने कहा की प्रवसी मजदूर जब भी घर आना चाहते है आ सकते है. दरअसल लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे लोगो को लाने का सिलसिला तेलंगाना से शुरू हुआ है. जिसके बाद कोटा से बच्चो को लाया गया और फिर धीरे-धीरे बाकी लोगो को भी लाने का काम चल रहा है.
Also Read: जानिए झारखण्ड में सरकारी विद्यालय के बच्चो की ऑनलाइन पढाई किस चैनल पर होगी।
राज्य के बाहर प्रवासियों की संख्या काफी ज्यादा है ऐसे में हर कोई जल्द से जल्द घर आना चाहता है. सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सहित हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है जिसकी सहायता से बाहर फंसे लोग अपनी जानकारी सरकार तक पहुंचा सकते है. अब तक 2 लाख से भी अधिक लोगो ने राज्य सरकार को बाहर फंसे होने की सुचना दी चुके है. उन्हें लाने की प्रक्रिया चल रही है. जिलावार भी अधिकारियो को नियुक्त किया गया है ताकि पडोसी राज्य से भी लोगो को जल्द से जल्द लाया जा सके.
Also Read: लाह इंस्टीट्यूट के जरिये रोजगार देने की तैयारी में CM हेमंत, बना रहे मास्टरप्लान
CM हेमंत सोरेन ने अपने एक बयान में कहा है की प्रवसी मजदूर राज्य में जब तक लौटना चाहेंगे तब तक उन्हें लाने का प्रयास किया जायेगा। वापस लौट रहे मजदूरो और छत्रो को उनके घरो तक पहुँचाना सरकार की जिम्मेदारी है. आगे हेमंत सोरेन ने कहा की 2 लाख से ज्यादा लोग झारखण्ड वापस लौट चुके है. वही 12 से ज्यादा ट्रेन राज्य में श्रमिक राज्य वापस लौटे है. परविहन सचिव रवि कुमार ने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साफ़ निर्देश है की वापस लौट रहे लोगो से किसी भी प्रकार का कोई भी किराया न लिया जाए.
Also Read: पश्चिम बंगाल या आंध्र प्रदेश में आप या आपके कोई फंसे है तो इन नंबरो पर फ़ोन करके घर वापस आ सकते है.
मालूम हो की लॉक डाउन के बीच यात्रियों की सबसे पहली ट्रेन झारखण्ड के लिए चली थी जो तेलंगाना से हटिया 1200 श्रमिकों को लेकर पहुंची थी. इस ट्रेन ला किराया झारखण्ड सरकार ने दिया था. मजदूरों से यात्रा के लिए कोई भी कोई राशि नहीं वसूली गयी थी.