झारखंड में सत्ता बदलने के साथ ही पूर्व में हुए घोटालो की पोल खुलने लगी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे एक्शन में हैं. कुछ दिनों पूर्व ही धनबाद नगर निगम में हुए वित्तीय अनियमितता और जरेडा के तत्कालीन निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ जांच के आदेश के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री ने रांची और सरायकेला में कॉपरेटिव बैंक में हुए वित्तीय अनियमितता और गबन मामले की जांच एसीबी (ACB) से कराने का आदेश दिया है.
झारखंड राज्य सहकारी बैंक (Jharkhand State Co-operative Bank) की रांची शाखा हुई अनियमितता के मामले में वित्त विभाग के विशेष अंकेक्षण में 9, 98, 21,155 रुपए वसूली योग्य राशि के रूप में प्रतिवेदित की गई है. वहीं बैंक की सरायकेला शाखा में 522.27 लाख रुपए के वित्तीय गबन की पुष्टि हुई है.
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न्यूज़18 में छपी खबर के मुताबिक विभागीय विशेष अंकेक्षण प्रतिवेदन और विभागीय स्तर पर गठित जांच समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में अनियमित तरीके से ऋण दिए जाने, उमेश चंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक-सह-शाखा प्रबंधक, जादगोड़ा शाखा का अनियमित रुप से सेवा विस्तार किए जाने, रांची के शहीद चौक स्थित बैंक भवन के नवीकरण कार्य में अनियमितता बरतने, चेक मुद्रण के व्यय में अनियमितता बरतने, कंप्यूटर सहायक की नियुक्ति में अनियमितता बरतने और गुमला-सिमडेगा केंद्रीय सहकारी बैंक के कर्मियों को नियम विरुद्ध तरीके से सेवा नियमितीकरण किए जाने का आरोप है.
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झारखंड राज्य सहकारिता बैंक की सरायकेला शाखा में फर्जी प्रविष्टि करते हुए ऋण राशि का समायोजन कर गबन किए जाने, फर्जी बैंक ड्राफ्ट बनाकर राशि का गबन करने, बिना बजट के नकद व्यय कर गबन करने, अनियमित और असुरक्षित चेक परचेज किए जाने, अनियमित रुप से संजय कुमार डालमिया को कैश क्रेडिट लोन दिए जाने और बिना सिक्योरिटी के अनियमित रूप से अग्रिम दिए जाने से संबंधित आरोप वित्त विभाग के विशेष अंकेक्षण प्रतिवेदन और विभागीय स्तर पर गठित जांच समिति के रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद कॉपरेटिव बैंक घोटाले में जल्द ही कांड दर्ज कर अनुसंधान कार्य शुरू होगा.
कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग ने झारखंड राज्य सहकारी बैंक की रांची और सरायकेला शाखा में गबन का मामला सामने आने पर तत्कालीन निबंधक, सहयोग समितियां और विभागीय सचिव के संयुक्त जांच दल का गठन किया था. जांच दल ने इस मामले में आरोपी पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. इसमें लाल मनोज नाथ शाहदेव, तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी,चाईबासा एवं जयदेव प्रसाद सिंह, तत्कालीन महाप्रबंधक, झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड तथा राम कुमार प्रसाद, तत्कालीन प्रबंध निदेशक, देवघर-जामताड़ा सहकारी बैंक को निलंबित कर दिया गया था.