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राम मंदिर पर कांग्रेस-भाजपा लड़ाई पर बोले मुबारकी, कांग्रेस का श्रेय लेते देखना अच्छा लगा

Arti Agarwal
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राम मंदिर पर कांग्रेस-भाजपा लड़ाई पर बोले मुबारकी, कांग्रेस का श्रेय लेते देखना अच्छा लगा 1

लम्बे समय से चले आ रहे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आज 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया। राम मंदिर को बनकर तैयार होने में तक़रीबन 32 महीने का लक्ष्य रखा गया है.

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भूमि पूजन से पहले कमलनाथ का ट्विटर हुआ भगवाधारी:

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले अपने ट्विटर हैंडल के प्रोफाइल और कवर को बदलते हुए भगवारंग में रंग गए थे. दरअसल, 31 जुलाई को कमलनाथ ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा था की “अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का स्वागत करता हूँ. सभी देश वासियो को काफी दिनों से इसकी अपेक्षा थी, भारत के सभी नागरिको की सहमति से राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. यह केवल भारत में संभव हो सकता था”

कमलनाथ के इस बयान के बाद देश भर के कांग्रेस नेता राम मंदिर पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को श्रेय देने शुरू कर दिए. कांग्रेस के कई ऐसे नेता है जिन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा की मंदिर का ताला राजीव गाँधी ने खोला इसलिए मंदिर निर्माण का श्रेय उन्हें जाता है. राम मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में श्रेय लेने का होड़ चल पड़ा.

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श्रेय लेने के लिए कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई पर क्या बोले मुबारकी:

राजनितिक मामलो के जानकर अजीज-ए-मुबारकी ने राम मंदिर कमलनाथ द्वारा श्रेय लेने के उद्देश्य से किये गए ट्वीट पर कहा की राम मंदिर निर्माण में कांग्रेस ने अपनी कड़ी मेहनत को स्वीकार किया किया है. कमलनाथ का इस तरह से खुल कर सामने आना अच्छा लगा. ” मैं लम्बे समय से इस बात को कह रहा था की कांग्रेस को अपने हार्डवर्क का श्रेय लेना चाहिए था. उनके दो पूर्व नेता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और पी.वी.नरसिम्हा राव के द्वारा जो हार्डवर्क को किया गया था. उसके लिए श्रेय लेना गलत नहीं है!

आगे मुबारकी ने कहा की मुझे उम्मीद है कि पीएम मोदी उनके बारे में अत्यधिक बात करेंगे। जब वे स्व पूर्व पीएम वाजपेयी जी, पूर्व उप पीएम लालकृष्णा आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह की निस्वार्थ सेवाओं की सराहना करने से पहले लाखों कारसेवकों द्वारा दिए गए बलिदानों की बात करते हैं। हालाँकि उनमें से किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है, लेकिन सत्यवादी होने के नाते, चीजें उनके बिना वास्तविक मुश्किल होती।

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