झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 18 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर को खत्म हो गया. कोरोना काल के बीच आयोजित हुए 4 दिवसीय मानसून सत्र में सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई. सत्र के आखिरी दिन कुछ ऐसा हुआ कि सबकी कि निगाह उसी पर टिक गई थी. दरअसल, मानसून सत्र के आखिरी दिन बीजेपी के विधायको द्वारा सत्तापक्ष का विरोध किया जा रहा था. बीजेपी विधायक कई बार वेल में घुस आये और नारेबाजी करने लगे. हंगामा कर रहे विधायको को समझाते हुए स्पीकर ने उन्हें अपने सीट पर वापस जाने का आग्रह जिसके बाद वह वापस भी जा रहे थे. लेकिन सारठ से बीजेपी विधायक और पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह जाते-जाते वेल से सत्ता पक्ष के विधायक को बैठने का इशारा करने लगे जिसे देख स्पीकर रविन्द्रनाथ महतो काफी नाराज़ हुए.
रणधीर सिंह के इस आचारण के बाद स्पीकर ने सख्ती दिखाते हुए मार्शल से कहा कि इन्हें सदन से बाहर किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि सदन के अंदर गुंडागर्दी नहीं चलेगी. सदन को सुचारू रूप से चलाना सभी का कर्तव्य बनता है. रणधीर सिंह जिस वक्त वेल में हंगामा कर रहे थे उस वक्त स्पीकर ने उन्हें कहा कि क्या ऐसा ही होगा? जिसके बाद जाते-जाते रणधीर सिंह ने कह दिया कि हां ऐसा ही होगा.
मानसून सत्र के आखिरी दिन बीजेपी के विधायक 5 बार वेल में पहुंचे थे जिस वजह से सदन कि कार्रवाई 1 घंटे तक स्थगित रही. झारखंड कि नियोजन नीति 2016 को हाईकोर्ट के द्वारा ख़ारिज कर दिया गया है ऐसे में 13 जिलो में नियुक्त हुए 10 हज़ार से अधिक शिक्षको पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है. विपक्ष का कहना है कि सरकार अपना पक्ष हाईकोर्ट में सही से नहीं रख पाई जिस वजह से 10 हज़ार से अधिक शिक्षको कि नौकरी जा सकती है. राज्य सरकार जल्द इस पर कोई ठोश कदम उठाये और उनकी नौकरी जाने से बचाये.
सदन से बाहर होने के बाद विधायक रणधीर सिंह ने स्पीकर पर आरोप लगते हुए कहा कि स्पीकर सभी के होते है. सदन के अंदर सरकार कि विफलताओ को उजागर कर रहा था. राज्य में जिस प्रकार से अपराधिक घटनाए बढ़ी है उसकी को लेकर हम प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन स्पीकर सरकार कि नाकामी को पचा नहीं पाए और सदन से बाहर कर दिये. ऐसा कई बार हुआ है कि जब भी हम सरकार के खिलाफ बोलने कि कोशिश करते है स्पीकर हमे बोलने नहीं देते है.