चीन से फैसले कोरोना वायरस का प्रकोप भारत में भी देखने को मिला है। शुरुआती दौर में कोरोना को तब्लीगी जमात से जोड़ कर देखा गया था लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया है की तब्लीगी जमात से कोई भी ऐसी सामग्री नहीं मिली है जो साबित कर सके की जमातीयों के द्वारा ही कोरोना का फैलाव हुआ है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच ने 21 सितंबर को म्यानमार के नागरिकों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए यह कहा है कि तब्लीगी जमात के दौरान कोई भी ऐसी सामग्री की प्राप्ति नहीं हुई है जिससे यह साबित हो सके कि तब्लीगी जमात के लोगों के कारण ही कोरोना का प्रसव हुआ है।
Live Law में छपी खबर के मुताबिक
न्यायमूर्ति वी.एम.देशपांडे और न्यायमूर्ति अमित बी.बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि यह देखा गया (गवाहों के बयानों से) कि 8 म्यांमार के नागरिकों ने केवल कुरान पढ़ी और एक स्थानीय मस्जिद में नमाज अदा की। अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि वे हिंदी भी नहीं जानते हैं और इसलिए, किसी भी धार्मिक प्रवचन या भाषण को उलझाने का कोई सवाल नहीं हो सकता है। 11.03.2020 को तब्लीगी जमात से जुड़े लोगो की पूरी अनुसूची पुलिस स्टेशन, गिट्टीखदान को दी गई थी। वे 21.03.2020 तक पुलिस स्टेशन, गिट्टीखदान के अधिकार क्षेत्र में रहे।
भारत सरकार ने 22.03.2020 को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। 22.03.2020 को सुबह 06.30 बजे आवेदकों को पुलिस स्टेशन, तहसील के अधिकार क्षेत्र के भीतर मोमिनपुरा, नागपुर के मार्कज़ सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया था और उस प्रभाव की जानकारी पुलिस स्टेशन को प्रदान की गई थी, लेकिन जनता कर्फ्यू के कारण पावती प्राप्त नहीं की गई थी।
पुलिस स्टेशन, तहसील ने जमातीयो को सूचित किया कि उन्हें मोमिनपुरा के मार्काज़ सेंटर में अलग-अलग रहना चाहिए और महिलाओं को भांखेड में एक निजी आवास में रखा गया। 24.03.2020 से 31.03.2020 तक प्रवास के दौरान, डॉ। कख्वाजा, एनएमसी जोनल अधिकारी, मोमिनपुरा ने अपनी टीम और पुलिस के साथ जमातीयो का दौरा किया।
03.04.2020 को, लगभग 03.30 बजे। सभी जमातीयो को M.L.A हॉस्टल भेजा गया था। हॉस्टल, सिविल लाइंस, नागपुर और सभी जमातीयो ने कोविड -19 के लिए एक जाँच करवाया था, जिसकी रिपोर्ट नकारात्मक निकली। 05.04.2020 को जमातियो को सूचित किया गया कि उनके खिलाफ एक एफ.आई.आर. दर्ज की गयी है। जो विदेशी अधिनियम के तहत है, साथ ही महामारी रोग अधिनियम, 1897 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
कोर्ट का विश्लेषण और निर्णय
अदालत ने आरोप-पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराए गए गवाहों के बयान का खंडन किया और फिर अदालत ने पाया कि 19.03.2020 और 20.03.2020 को, आवेदकों ने कुरान और हदीस का अध्ययन किया और नमाज की पेशकश की। उन्होंने खुद को भारतीय मुस्लिम संस्कृति से परिचित कराया।