भारत में आस्था का महत्व काफी ज्यादा है अनेकों धारण जाति और विभिन्न समुदाय होने के कारण भारत अपने आप में एक बेहद ही खूबसूरत देश है धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी भारत अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है क्योंकि यहां अलग-अलग धर्म समुदाय के लोग पाए जाते हैं और सभी को अपनी धार्मिक इच्छाओं और भावनाओं को प्रकट करने की अनुमति दी गई है.
भारत में अक्सर बेटियों पर हो रहे अत्याचार सहित कई अन्य ऐसी सामाजिक समस्याएं सामने आती है जिसकी वजह से ऐसा लगता है कि स्त्री समुदाय में जन्म लेना एक अभिशाप है रूढ़िवादी धारणाओं के कारण पूर्व में कई प्रकार की बाधाएं प्रचलित थी जिनकी वजह से महिलाओं और बेटियों को प्रताड़ना सहनी पड़ती थी परंतु वर्तमान समय में सामाजिक बदलाव के साथ लोगों की सोच भी बदली है एक तरफ भारत रूस प्रधान देश माना जाता है परंतु दूसरी तरफ भारत में महिलाओं और बेटियों को पुरुषों की बराबरी पर लाकर खड़ा करने की कवायद चल रही है ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अपने हुनर का जोहर भी दिखा रही है
झारखंड राज्य के बोकारो जिला में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग लंबी लाइन में लगकर माता के दर्शन करते हैं। देवी मां के दरबार मेें माथा टेकते हैं और कुछ नाक तक रगड़ते हैं और उनसे बेटी का वरदान मांगते हैं। यह मंदिर बोकारो जिला के चास प्रखंड के चाकुलिया गांव में स्थित है। यहाँ दुर्गा माता का 170 साल पुराना मंदिर है यह मंदिर गर्व और विश्वास का स्थान रखता है। सैकड़ों लोग यहां पूजा-अर्चना करने के बाद बेटी का दान मांगते हैं। प्रत्येक वर्ष गांव में दुर्गा पूजा की शुरुआत 150 साल पुराने तांबे के लोटे में घट स्थापना से होती है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘यहां सालभर लोगों की भीड़ रहता है लेकिन नवरात्रों के दौरान यहां पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। लोग सिद्धिदात्री दुर्गा की पूजा करके उनसे बेटी मांगते हैं।’
कोरोना महामारी होने की वजह से इस बार यहां की दुर्गा पूजा पर महामारी का प्रभाव पड़ा है। हमारे संवाददाता से बात करते हुए एक भक्त ने कहा, ‘हमारा एक बेटा है परन्तु हमें लगा कि बेटी के बिना परिवार अधूरा है। यहां पूजा करने और माथा टेककर, नाक रगड़ी इसके कुछ साल बाद ही हमारे घर बेटी का जन्म हुआ है। मेरा परिवार हर साल दुर्गा पूजा के समय मंदिर आता है ताकि देवी का आभार प्रकट किया जा सके।’
वहीं गांव की एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘माता की कृपा से बेटी मिलने के बाद मैंने उसका नाम भवानी रखा है। मेरी तरह बहुत से लोग, यहां तक की गर्भवती महिलाएं जिन्हें बेटी चाहिए वो यहां आकर माता का आशीर्वाद लेती हैं। मैं अपनी बेटी को सौभाग्यशाली मानती हूं।’