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100 साल का हुआ जामिया मिल्लिया इस्लामिया, असहयोग आंदोलन से उपजा यह विश्वविद्यालय

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का आज सोमवार स्थापना दिवस है कोरोनावायरस होने के कारण इस वर्ष धूमधाम से जामिया का स्थापना दिवस नहीं मनाया जाएगा लेकिन जामिया स्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से के साथ-साथ बनाया जाएगा. हाल ही में भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए देश के 10 सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण विश्वविद्यालयों में जामिया मिलिया इस्लामिया प्रथम स्थान पर रहा है.

जामिया की स्थापना उस ब्रिटिश हुकूमत की शैक्षिक व्यवस्था के खिलाफ एक बगावत थी जो अपना औपनिवेशिक शासन चलाने के लिए सिर्फ ”बाबुओं” को बनाने तक सीमित थी।जामिया ने अपनी इस भूमिका को बखूबी अंजाम दिया है.

जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना उस वक्त हुई थी जब भारत अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन चला रहा था उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ शिक्षक एवं छात्रों के द्वारा 29 अक्टूबर 1920 को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव रखी गई थी. जामिया के निर्माण में स्वत्रंता सेनानी, मुहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, डॉक्टर जाकिर हुसैन, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा, मौलाना महमूद हसन जैसे लोगों का प्रमुख योगदान रहा है.

जामिया मिलिया इस्लामिया शुरुआत में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अधीन था लेकिन 1925 में या अलीगढ़ से अलग होकर दिल्ली स्थानांतरित हो गया जिस के बाद इसे काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा लेकिन महात्मा गांधी के द्वारा या कहा गया कि चाहे कुछ भी हो जाए कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आ जाए स्वदेशी शिक्षण संस्थाएं बंद नहीं होनी चाहिए. जामिया के आर्थिक तंगी को देखते हुए गांधी जी ने कहा था कि यदि जामिया को बचाने के लिए मुझे भीख मांगने पड़े तो मैं वर्क करने के लिए तैयार हूं

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय देश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो थल सेना वायु सेना और जल सेना के अधिकारियों के लिए आगे की पढ़ाई मुफ्त में करवाता है वही जामिया मिलिया इस्लामिया देश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी के लिए भी मुफ्त में कोचिंग करवाता है जामिया मिलिया इस्लामिया से यूपीएससी में काफी संख्या में विद्यार्थी सफल होकर देश की सेवा में लगे हैं