यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में टीए और ओवरटाइम घोटाले की पुष्टि हुई है. सीबीआई रांची के द्वारा मामले की जांच पूरी करने के बाद विशेष न्यायाधीश की अदालत में आरोप पत्र दायर की गई है इस मामले में अकाउंटेंट मैनेजर संजीव कुमार शर्मा, क्लर्क गोपीनाथ दास एवं चपरासी नृपेंद्र कुमार सिंह को सीबीआई ने आरोपी बनाया है
सीपीआई के द्वारा दायर की गई आरोप पत्र में कहा गया है कि इन तीनों ने मिलकर छप्पन लाख रुपए की गड़बड़ी की है फर्जी है जो की यात्रा भत्ता के लिए मिलती है उस पैसे में से मैनेजर और क्लर्क ने हिस्सा लिया है आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि यूसील जादूगोड़ा के इन तीनों कर्मचारियों ने सोची समझी साजिश के तहत घोटाले को अंजाम दिया है चपरासी नृपेंद्र कुमार सिंह ने कुल 505 फर्जी पिए बिल बनाएं फर्जी बिल को जांच के लिए कलर के पास भेजा जाता था और इन तीनों की मिलीभगत के कारण कलर इसकी जांच करने के बाद अकाउंटेंट मैनेजर के पास भेज देता था बिल पास करने के लिए राशि चपरासी के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी फर्जी बिल के जरिए चपरासी के खाते में वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक की अवधि में 22.54 लाक ट्रांसफर किए गए थे
सीबीआई के द्वारा दायर की गई आरोप पत्र में यह कहा गया है कि बायोमैट्रिक अटेंडेंस की जांच में यह पाया गया कि यह चपरासी एक ही समय में ड्यूटी पर भी रहता था और उस समय का टीए बिल भी बनाता था फर्जी तरीके से टीए बिल पाने के लिए रांची टैक्सी स्टैंड और स्टेशन रोड स्थित होटल के फर्जी बिल का भी सहारा लिया जाता था जांच में सभी होटल के बिलों पर एक जैसे लिखावट मिली फर्जी ओवरटाइम की जांच के दौरान पाया गया कि कलर गोपीनाथ दास ऑनलाइन फाइनेंशियल सिस्टम के सहारे कामगारों के पेरोल मैं ओवरटाइम का ब्यौरा भरता था इसके बाद अपनी आईडी से इसे पास करता था