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JAC: कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक का संशोधित सिलेबस के आधार पर जारी हुआ कैलेंडर

कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न हुई को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार की तरफ से कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के विद्यार्थियों के सिलेबस में कटौती की गई है स्कूल और अन्य शिक्षण संस्था बंद होने के कारण बच्चों को समय पर सिलेबस को पूरा नहीं किया जा सकता था इसलिए सरकार ने 40% की कटौती करते हुए सिलेबस को 60% में लाकर रख दिया है अब 60% संशोधित सिलेबस के आधार पर ही बच्चों का पठन-पाठन कार्य होगा सरकार विद्यार्थियों को उनके सिलेबस पूरा कराने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप और ऑनलाइन ऐप के जरिए पढ़ाई करवा रहे हैं वही संबंधित विद्यालय के शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि फोटो कॉपी करा कर बच्चों तक उनके पठन-पाठन के कार्य हो जाएंगे साथ ही निवेदन के साथ या पाठ्यक्रम पूरा होगा.

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सोमवार 7 दिसंबर को कक्षा 1 से लेकर 8वीं के संशोधित सिलेबस को पूरा करने के लिए अगले 3 महीनों का शैक्षणिक कैलेंडर सोमवार को जारी कर दिया गया है. झारखंड शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से विद्यार्थियों तक शिक्षण सामग्री पहुंचाना शुरू कर दिया है जारी किए गए कैलेंडर में दिसंबर, जनवरी और फरवरी महीने में चार 4 सप्ताह के आधार पर कुल 12 सप्ताह का कंटेंट तैयार किया गया है. प्रत्येक सप्ताह में किस क्लास के बच्चों को किस दिन और कौन सा विषय पढ़ाना है इसका शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है इस शेड्यूल के माध्यम से पहले सप्ताह में अब तक उपलब्ध कराए गए कंटेंट का रिवीजन होगा जबकि बाद के सप्ताह में संशोधित पाठ्यक्रम का कोर्स कंप्लीट हो सकेगा

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जारी हुई शेड्यूल के अनुसार प्रत्येक विषय के चैप्टर के नाम के साथ-साथ पाठ्यपुस्तक में किस पेज संख्या परवाह और ज्ञान सेतु के वर्क बुक में किस पेज नंबर पर वह है इसके बारे में भी बताया गया है वही वैसे छात्र-छात्राएं जो व्हाट्सएप ग्रुप से नहीं जो सके हैं उन तक इससे पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित स्कूलों के शिक्षकों को दी गई है स्कूल के शिक्षक क्लास वालों बच्चों की संख्या के अनुसार संबंधित 12 सप्ताह के शेड्यूल का फोटो कॉपी बच्चों तक पहुंचाएंगे. स्कूल विकास से इसकी राशि खर्च की जा सकेगी. जेसीईआरटी का यह स्पष्ट कहना है की बच्चों तक 12 सप्ताह के शेड्यूल पहुंचाने में कोरोनावायरस के गाइडलाइन का शिक्षक पूरा पालन करेंगे स्कूल के बड़े बच्चों समेत विद्यालय प्रबंधन समिति स्थानीय लोगों की मदद ले सकेंगे.