Jharkhand School: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अपने कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा फैसला लेते हुए जेएसएससी की परीक्षाओं में जनजातीय/क्षेत्रीय भाषाओं (Jharkhand regional language) को प्रमुख भाषाओं में शामिल करके राज्य हित से जुड़े मुद्दों को साधने के लिए कड़े संकेत दिए हैं. लेकिन जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने के दौरान हिंदी और अंग्रेजी को प्रमुख भाषाओं से हटा दिया गया है वहीं भोजपुरी, मगही और अंगिका को भी हटाया गया है. हिंदी और अंग्रेजी को क्वालीफाइंग के रूप में रखा गया है.
जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को प्रमुख भाषाओं के रूप में परीक्षा में शामिल करने और अन्य राज्यों में बोली जाने वाली भाषाओं को हटाने का साफ संदेश सरकार यह देना चाहती है कि वो झारखंड और झारखंड के जनमानस से जुड़े हुए मुद्दों को प्राथमिकता से लेते हुए उन्हें वह अधिकार और शिक्षा देना चाहती है जिसका वह लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. झारखंड गठन के बाद विश्वविद्यालय स्तर पर ही कुछ जनजातीय भाषाओं और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई होती थी लेकिन उसकी पहुंच इतनी व्यापक नहीं थी जिस कारण पड़ोसी राज्यों से सटे झारखंड के जिलों में पड़ोसी राज्यों की बोली को लोग आम बोलचाल की भाषा में उपयोग करते थे लेकिन झारखंड सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को परीक्षाओं में प्रमुखता से स्थान देने के बाद उन भाषाओं की पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक कराने को लेकर चिंतित है और राज्य के सरकारी विद्यालयों में जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भी कदम बढ़ा चुकी है.
बता दें झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक और सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने सदन से यह सवाल किया था कि क्या झारखंड के प्राथमिक स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई होती है जिसका जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि जल्द ही जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति पर कार्य किया जा रहा है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब सरकारी प्राथमिक स्तर पर भी जनजाति और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कदम बढ़ा चुकी है आने वाले दिनों में यह साफ देखा जा सकता है कि शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान ही जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति होगी जिससे राज्य में निवास करने वाले लोगों को जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान सरकारी स्कूलों से मिलना शुरू होगा.