Jharkhand Tourism Policy: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार 23 जुलाई को नई दिल्ली में झारखंड की नई पर्यटन नीति को लांच किया है. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नक्सली गतिविधियां नहीं के बराबर है और वह दिन दूर नहीं जब यहां की वादियों में गोलियों की गूंज के बदले पर्यटकों के ठहाके सुनाई देंगे. सीएम ने राज्य में पर्यटन उद्योग में निवेश करने वालों के लिए कई घोषणाएं की है.
झारखंड की नई पर्यटन नीति की घोषणा करते हुए अपने संबोधन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बड़ा दावा किया है उन्होंने कहा है कि झारखंड का सिंहभूम क्षेत्र वह है जो समुद्र से पहली बार बाहर निकला था. उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय शोध का दावा करते हुए यह बातें सब के सामने साझा की है. दरअसल, झारखंड की नई पर्यटन नीति राज्य के भौगोलिक सुंदरता को सबके सामने तो रखेगी साथ ही आने वाले दिनों में पर्यटकों के जरिए पर्यटक क्षेत्रों की आमदनी भी बढ़ेगी.
आइए जानते हैं सीएम हेमंत सोरेन के दावे का सच क्या है:
दरअसल, वैज्ञानिकों की एक टीम ने झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र को दुनिया में सबसे पहले समुद्र से बाहर आने का दावा किया हैं. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के 8 वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम ने यह पुष्टि की है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस रिसर्च में 7 साल से भी लंबा का वक्त लगा है तब जाकर इस बात की पुष्टि हो पाई है कि झारखंड का सिंहभूम क्षेत्र दुनिया का पहला प्रायद्वीप है. वैज्ञानिकों के रिसर्च टीम के लीडर डॉ. प्रियदर्शी चौधरी जो मोनाश यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया से संबंध रखते हैं उन्होंने यह पुष्टि की है. उन्होंने 7 साल तक झारखंड के कोल्हान के पहाड़-पर्वतों को छान मारा. 7 साल तक पहाड़ों में रहने के दौरान 300- 400 किलोग्राम पत्थरों का लेबोरेट्री में अध्ययन किया गया है. इन पत्थरों में कुछ बलुआ पत्थर और कुछ ग्रेनाइट शामिल थे. नदी या समुद्र का किनारा तभी हो सकता है जब आसपास भूखंड हो. जब बलुआ पत्थरों की उम्र निर्धारित करने की कोशिश की गई तब यह पता चला कि यह आज से लगभग 320 करोड़ साल पहले बना था. इसका मतलब यह हुआ कि आज से 320 करोड़ साल पहले यह प्रांत एक भूखंड के रूप में समुद्र की सतह से ऊपर था. अब तक माना जाता रहा है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र सबसे पहले समुद्र से बाहर निकले लेकिन झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र उनसे भी 20 करोड़ साल पहले बाहर आया है.
उन्होंने दावा करते हुए यह कहा है कि सिंहभूम क्रेटान समुंद्र से निकला पहला द्वीप हैं. जब इन पत्थरों की जांच की गई तो पता चला कि तकरीबन 350 से 320 करोड़ साल पहले हुए लगातार ज्वालामुखी गतिविधियों से यह बना है. इसका मतलब यह हुआ कि 320 करोड़ साल पहले सिंहभूम महाद्वीप समुद्र की सतह से ऊपर आया पर उसके बनने की प्रक्रिया उससे भी पहले शुरू हो गई थी.
बता दें कि, यह क्षेत्र उत्तर में जमशेदपुर से लेकर दक्षिण में महागिरी तक, पूर्व में उड़ीसा के सिमलीपाल से पश्चिम में वीर टोला तक फैला हुआ है. इस क्षेत्र को झारखंड में सिंहभूम कहा जाता है. झारखंड की पर्यटन नीति लागू होने के बाद झारखंड के कई ऐसे हिस्से हैं जिसे विकसित करने के लिए तेजी से कार्य किया जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की पर्यटन स्थलों को बढ़ाने के लिए और झारखंड की छाप देश-दुनिया में छोड़ने के लिए प्रयासरत हैं. इस बात का अंदाजा उनके बातों से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने सिंहभूम क्षेत्र को वैज्ञानिकों द्वारा दावा किए जाने के बाद जोर देते हुए देश के सामने रखा है. ऐसा माना जा रहा है कि वह दिन अब दूर नहीं जब लोग शिमला और मनाली जैसे पर्यटक स्थलों की तरफ जाने की बजाय झारखंड की मनोरम वादियों की सैर करेंगे.