Skip to content
[adsforwp id="24637"]

आदिवासी होने के कारण सीएम हेमंत सोरेन को किया जा रहा है परेशान?, भाजपा के भ्रष्टाचार को छुपा रही है ED

News Desk

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों में घेरा जा रहा है. उनके विधायक प्रतिनिधि से ईडी पूछताछ कर रही है जबकि उनके प्रेस सलाहकार को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है और 1 अगस्त को पूछताछ के लिए हाजिर होने के लिए कहा है.

ईडी के द्वारा की जा रही कार्रवाई एक तरफा और हेमंत सोरेन सरकार की छवि को धूमिल करने का एक षड्यंत्र मालूम हो रहा है. झारखंड में ईडी आईएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी से शुरू होकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार तक पहुंच चुकी है. आईएस पूजा सिंघल पर ईडी की कार्यवाही मनरेगा घोटाले को लेकर कहीं जा रही है परंतु ईडी मनरेगा की कार्रवाई को दरकिनार कर खनन से जुड़े मामले को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरने की कोशिश में लग गई है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी कि ईडी एक स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं बल्कि किसी सरकार की कठपुतली बन कर रह गई है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भाजपा की रघुवर दास सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान में विधायक सरयू राय ने ही ईडी को लेकर और उनकी जांच प्रक्रिया की दिशा को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.

भाजपा के अर्जुन मुंडा सरकार के दौरान हुआ था मनरेगा घोटाला,  रघुवर सरकार में पूजा सिंघल को मिला क्लीनचिट:

जिस पूजा सिंघल की चर्चा आज चारों तरफ है वह कभी भाजपा की अर्जुन मुंडा सरकार के दौरान खूंटी की उपायुक्त हुआ करती थी.  खूंटी की उपायुक्त रहते हुए ही 18 करोड़ से भी अधिक का मनरेगा घोटाला हुआ था जिसमें पूजा सिंघल को आरोपी बनाया गया था.  पूजा सिंघल पर आरोप था कि उन्होंने अवैध तरीके से एक एनजीओ को काम सौंपा था जिसमें बड़े पैमाने पर घोटाले हुए थे.  झारखंड में साल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री रघुवर दास बने.  अब ऐसा वक्त था जब केंद्र में भी भाजपा की सरकार और राज्य में भी भाजपा की सरकार काबिज हो चुकी थी. रघुवर सरकार के दौरान ही साल 2017 में मनरेगा घोटाले की आरोपी पूजा सिंघल को सरकार की तरफ से क्लीनचिट दे दी गई थी.  ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर किस आधार पर पूजा सिंघल को सरकार ने क्लीनचिट दिया था और अब किस आधार पर ईडी मनरेगा घोटाले के तहत पूजा सिंघल पर कार्रवाई कर रही है.

विधायक सरयू राय ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि ईडी जितनी तत्परता के साथ पूजा सिंघल पर कार्रवाई कर रही है उतनी ही तेजी से यह भी पता करना चाहिए कि आखिर 2017 में किस आधार को बनाकर उन्हें क्लीनचिट दिया गया और उन्हें क्लीनचिट देने वाले लोगों में कौन कौन शामिल थे. सरयू राय ने ईडी को पत्र लिखकर 2017 में रघुवर सरकार के दौरान हुए खनन मामले को लेकर विशेष जांच की मांग की है लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि ईडी रघुवर सरकार के किसी भी मामले की जांच करने के लिए उत्सुक है.

हेमंत सोरेन को क्यों निशाना बना रही है ED, रघुवर कार्यकाल की कब होंगी जाँच:

झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद पूर्व की रघुवर सरकार के दौरान हुए मोमेंटम  घोटाला, कंबल घोटाला,  टॉफी और टी-शर्ट घोटाला सहित अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद ईडी की कार्रवाई राज्य में शुरू होती है. रघुवर दास के साथी रहे सरयू राय ने कई दस्तावेजों के साथ उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं साथ ही ईडी को जांच के लिए भी आग्रह किया है. परंतु ऐसा कहीं प्रतीत नहीं हो रहा है कि ईडी इन मामलों की जांच करने के लिए तैयार है फिलहाल वह केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को परेशान करने के लिए कार्य कर रही है ऐसा प्रतीत होता है.

Also Read: Jharkhand Old Pension Scheme: हेमंत सोरेन को घेरने के चक्कर में खुद फंसे बाबूलाल, पुरानी पेंशन योजना पर किया था सवाल

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि और प्रेस सलाहकार को जिस खनन मामले को लेकर तलब किया गया है और पूछताछ की जा रही है वह सभी खनन लीज पूर्व की सरकारों के दौरान ही उन्हें मिला हुआ था ऐसा नहीं है कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद उन्हें खनन का लाइसेंस मिला हो बल्कि पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान ही उन्हें यह लीज मिले हुए थे.  इन सबके बीच सबसे बड़ा चौंकाने वाला खुलासा विधायक सरयू राय ने किया है कि ईडी ने रेलवे से खनन लीज से जुड़े 3 वर्षों का लेखा-जोखा मांगा है जिसमें 2 साल हेमंत सरकार और 1 साल रघुवर दास सरकार के हैं.  विधायक सरयू राय ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि क्यों नहीं ईडी ने साल 2015 के बाद का विवरण रेलवे से मांगा है? आखिर वह किसे बचाना चाहती है और इनकी जांच किस तरफ जा रही है. 

प्रेम प्रकाश, पूजा सिंघल, सुमन सिंह और विशाल चौधरी सभी ने भाजपा सरकार में झारखंड को दोनों हाथों से लुटा है:

रघुवर सरकार के दौरान प्रेम प्रकाश की हनक हमेशा बरकरार रही है. इसका प्रमाण है साल 2018 में उत्पाद विभाग में 7 करोड़ का गबन. पीपी किसान पोल्ट्री फार्म के नाम से अंडे की आपूर्ति करता था. साथ ही मेसर्स शॉमक इंजीनियरिंग एंड कंस्लटेंसी सर्विसेज के साथ एमओयू कर अशोक नगर में दफ्तर खोला था. यहीं से वह उत्पाद विभाग के राज्यभर की 230 शराब दुकानों का संचालन करता था. साथ ही इन दुकानों से पैसे का संग्रह कर उसे बैंक में जमा करने का भी काम करता था.

दुकानों की पड़ताल जब विभागीय अधिकारियों ने की, तब स्टॉक और शराब बिक्री के पैसे में बड़ा अंतर पाया गया था. करीब सात करोड़ रुपये की गड़बड़ी पायी गयी. तत्कालीन उत्पाद आयुक्त, महाप्रबंधक (संचालन), उपायुक्त उत्पाद के समक्ष स्टॉक की गणना की गयी थी. शराब दुकानों के स्टाफ का बयान लिया गया था. इस आधार पर 28 जुलाई 2018 को झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन के महाप्रबंधक सुधीर कुमार ने प्रेम प्रकाश व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी के लिए आवेदन देने अरगोड़ा थाना गये थे. साथ ही प्रेमप्रकाश से जुड़े गौरव सिंह, अनिल कुमार झा, मंजीत (पीपी का चालक) और विनय शंकर (पीपी का दूसरा चालक) को पकड़कर भी उत्पाद विभाग की टीम अरगोड़ा थाना ले गयी थी.

आवेदन में उक्त चार के अलावा प्रेम प्रकाश, राजदीप और कामजीत सिंह (पीपी का सरकारी अंगरक्षक) पर भी सात करोड़ के राजस्व की चोरी, विभाग के साथ धोखाधड़ी के लिए डेली के स्टॉक रजिस्टर में छेड़छाड़ का आरोप महाप्रबंधक ने लगाया था. लेकिन उस वक्त की ब्यूरोक्रेसी में बड़े पद पर बैठे एक अफसर के फोन की घंटी पीपी के समर्थन में बजी और उत्पाद विभाग की पूरी टीम थाने से बैरंग लौट गयी. पीपी के चारों आदमी को भी छोड़ दिया गया. बाद में यह बात सामने आयी कि पीपी ने झारखंड बिवरेज कॉरपोरेशन को पैसा जमा कर दिया और फोन करनेवाले अफसर के हस्तक्षेप के कारण उत्पाद विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी.