Nepal: पत्रकारों से बातचीत करते हुए नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि ‘नैसर्गिक रूप से तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है. हम वन चाइना पॉलिसी के प्रति वचनबद्ध हैं.हम किसी देश के आंतरिक मामले में टिप्पणी नहीं करते.
बता दें कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के नेता केपी शर्मा ओली ने नेपाल आम चुनाव से ठीक पहले फिर चीन के पक्ष में झुकते दिख रहे हैं. नक्शा संबंधी विवाद में भारत विरोधी मुद्दा फिर उछाल। और ताइवान के क्षेत्र में ताजा चीनी सैनिक अभ्यास की आलोचना करने से उन्होंने इनकार किया है. अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने ताइवान के आसपास अभूतपूर्व सैनिक अभ्यास शुरू कर दिया है.
इस बारे में पूछे जाने पर ओली ने दोहराया कि नेपाल ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थक है. इसका अर्थ यह है कि नेपाल, ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए ओली ने कहा कि ‘नैसर्गिक(स्वभाविक) रूप से तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है. हम वन चाइना पॉलिसी के प्रति वचनबद्ध हैं और हम किसी देश के आंतरिक मामले में टिप्पणी नहीं करते.
इस तरह ओली ने काठमांडू स्थित चीनी राजदूत हाउ योनची के यहां बुधवार को जारी बयान का समर्थन किया है. हाउ ने कहा था कि पेलोसी की यात्रा से चीन की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ है
इस मामले में नेपाल अन्य कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी चीन के समर्थन में बयान जारी किया है. इनमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और नेपाल मजदूर किसान पार्टी शामिल हैं. इन पार्टियों के नेताओं की भाषा ज्यादा सख्त रही है. उन्होंने बेलाग रूप से इस यात्रा के लिए पेलोसी की यात्रा की निंदा की और इसे चीन को भड़काने की कार्रवाई बताया. मगर ओली का रुख अधिक सतर्क रहा है. उन्होंने बिना किसी देश का नाम लिए कहा- ‘किसी देश को किसी अन्य देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देना चाहिए और तनाव नहीं पैदा करना चाहिए’
इसी हफ्ते ओली ने दावा किया था कि उनकी सरकार ने नेपाल का नया नक्शा जारी किया, जिसकी वजह से उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। नए नक्शे में भारतीय इलाकों- कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल के हिस्से के रूप मे दिखाया गया है. ओली के इस दावे को इस बात का संकेत माना गया कि अगले 20 नवंबर को होने वाले आम चुनाव में ओली की पार्टी उग्र राष्ट्रवादी रुख अख्तियार करेगी.
लेकिन अब ओली ने इसका खंडन किया है। उन्होंने कहा- ‘अपने चुनाव अभियान में यूएमएल उग्र राष्ट्रवाद का सहारा नहीं लेगी. ना ही कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को चुनावी मकसद से नेपाल के नक्शे में शामिल किया गया था.’ लेकिन गुरुवार की पत्रकार वार्ता में ओली ने जो कहा कि उससे ये साफ संकेत मिला कि वे चुनाव से पहले वे उग्र राष्ट्रवादी रुख अपना रहे हैं. उन्होंने कहा- ‘हम किसी देश के खिलाफ नहीं हैं. हम किसी देश की जमीन पर अपना दावा नहीं ठोकेंगे. हमने न्यायपूर्ण और तार्किक मुद्दों को उठाया है. कोई भी दावा अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और साक्ष्य के आधार पर होना चाहिए।’ पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसका अर्थ है कि ओली नए नक्शे के मामले मे अपने पुराने रुख पर कायम हैं.