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Hemant Soren: मुख्यमंत्री ने कहा- पूर्वजों की कुर्बानियां हमारे ऊपर कर्ज, यह कर्ज तभी उतरेगा, जब राज्य के नव निर्माण में सभी सहयोग करें

Hemant Soren: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर सर्वप्रथम मैं बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हो, राणा पूंजा, तेलंगा खरिया, पोटो हो, फूलो-झानों, पा तोगान संगमा, जतरा भगत, कोमारम भीम, भीमा नायक, कंटा भील, बुधु भगत जैसे वीर नायकों को नमन करता हूँ। हम आदिवासियों की कहानी लम्बे संघर्ष एवं कुर्बानियों की कहानी है। संघर्षों की मूर्ति हम अपने महापुरुषों और वीरांगनाओ पर गर्व करते हैं। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मैं बाबा साहेब डॉ.भीम राव अंबेदकर एवं डॉ.जयपाल सिंह मुंडा जी को भी विशेष रूप से याद करना चाहूंगा। आपके प्रयासों से आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान हो पाए। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित “झारखंड जनजातीय महोत्सव-2022” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

मेरी आदिवासी पहचान सबसे महत्वपूर्ण है, यही मेरी सच्चाई भी:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आज जब मैं आपसे इस मंच के माध्यम से मुखातिब हो रहा हूँ तो बता दूं कि मेरे लिए मेरी आदिवासी पहचान सबसे महत्वपूर्ण है, यही मेरी सच्चाई है। आज हम एक ढंग से अपने समाज के पंचायत में खड़े होकर बोल रहे हैं। आज हम अपनी बात करने के लिए खड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सच है कि संविधान के माध्यम से अनेकों प्रावधान किये गए हैं जिससे कि आदिवासी समाज के जीवन स्तर में बदलाव आ सके। परन्तु, बाद के नीति निर्माताओं की बेरुखी का नतीजा है कि आज भी देश का सबसे गरीब, अशिक्षित, प्रताड़ित, विस्थापित एवं शोषित वर्ग आदिवासी वर्ग है।

विकास के नए अवतार से जनजातीय भाषा-संस्कृति को ख़तरा:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आज आदिवासी समाज के समक्ष अपनी पहचान को लेकर संकट खड़ा हो गया है। क्या यह दुर्भाग्य नहीं है कि जिस अलग भाषा संस्कृति-धर्म के कारण हमें आदिवासी माना गया उसी विविधता को आज के नीति निर्माता मानने के लिए तैयार नहीं है? संवैधानिक प्रावधान सिर्फ चर्चा का विषय बन के रह गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आदिवासियों के लिए अपनी जमीन, अपनी संस्कृति-अपनी भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। विकास के नए अवतार से इन सभी चीजों को ख़तरा है। आखिर एक संस्कृति को हम कैसे मरने दे सकते हैं ? विभिन्न जनजातीय भाषा बोलने वालों के पास न तो संख्या बल और न ही धन बल। उदाहरण के लिए हिन्दू संस्कृति के लिए असुर हम आदिवासी ही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसके बारे में बहुसंख्यक संस्कृति में घृणा का भाव लिखा गया है, मूर्तियों के माध्यम से द्वेष दर्शाया गया है, आखिर उसका बचाव कैसे सुनिश्चित होगा इस पर हमें सोचना होगा। धन बल भी होता तो जैन/पारसी समुदाय जैसा अपनी संस्कृति को बचा पाते हम। ऐसे में विविधता से भरे इस समूह पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

आदिवासी बचाओ, जंगल और जीव जंतु सब बचेगा:

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय एक स्वाभिमानी समुदाय है, मेहनत करके खाने वाली कॉम है, ये किसी से भीख नहीं मांगती है। हम भगवान् बिरसा, एकलव्य, राणा पूंजा की कॉम हैं, जिन्हें कोई झुका नहीं सकता, कोई डरा नहीं सकता, कोई हरा नहीं सकता। हम उस कॉम के लोग हैं जो गुरु की तस्वीर से हुनर सीख लेते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सामने से वार करने वाले लोग हैं, सीने पर वार झेलने वाले लोग हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इस देश के मूल वासी हैं। हमारे पूर्वजों ने ही जंगल बचाया, जानवर बचाया, पहाड़ बचाया? हाँ, आज यह समाज यह सोचने को मजबूर है कि जिस जंगल-जमीन की उसने रक्षा की आज उसे छीनने का बहुत तेज प्रयास हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जानवर बचाओ, जंगल बचाओ सब बोलते हैं पर आदिवासी बचाओ कोई नहीं बोलता। अरे आदिवासी बचाओ जंगल जीव -जंतु सब बच जाएगा। सभी की नजर हमारी जमीन पर है। हमारे जमीन पर ही जंगल है, लोहा हैं, कोयला है पर हमारे पास न तो आरा मशीन है और न ही फैक्ट्री ।

कुछ लोगों को तो आदिवासी शब्द से भी चिढ़, आदिवासी समाज के प्रति संवेदना जगाने की जरूरत:

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को तो आदिवासी शब्द से भी चिढ़ है। वे हमें वनवासी कह कर पुकारना चाहते हैं। आज जरूरत है कि एक आम देशवासी के अन्दर आदिवासी समाज के प्रति संवेदना जगाई जाए। जरुरत है आम जन के अन्दर आदिवासी समाज के प्रति सम्मान एवं सहयोग की भावना पैदा करने की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश का आदिवासी समाज बिखरा हुआ है। हमें जाति-धर्म क्षेत्र के आधार पर बाँट कर बताया जाता है। जबकि सबकी संस्कृति एक है। खून एक है, तो समाज भी एक होना चाहिए। हमारा लक्ष्य भी एक होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपने 200-250 वर्ष पूर्व के इतिहास को याद करना होगा। हमें यह याद रखना होगा कि आज जो भी जमीन हमारे पास है वह समाज के शहीदों की देन है। बिरसा मुंडा, भीमा नायक, कंटा भील, सिद्धो-कान्हो सभी महापुरुषों ने आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए जान निछावर कर कर दिए थे। भगवान् बिरसा मुंडा ने क्या कहा था? उन्होंने जल-जंगल-जमीन पर अधिकार की बात की थी। अबुआ राज की बात की थी। गाँव की सरकार की बात की थी।दिक्कत है कि हम अपने आदर्शों के बारे में जानते ही नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नयी पीढ़ी को इस बारे में सोचना होगा। आप एक संथाली युवक से पूछिये ‘राणा पुंजा कौन थे ? वो बोलेगा – राणा सांगा ? वैसे ही आप एक भील युवक से पूछिये बुधु भगत कौन थे ? वह उत्तर नहीं दे पाएगा। सच्चाई है कि देश का आदिवासी समाज एक होकर सोच ही नहीं रहा है। हमें अपने आप को पहचानने की जरुरत है। जातिवाद पार्टी वाद क्षेत्रवाद से ऊपर उठना होगा।

सभी लोग अभिवादन के लिए ‘जोहार’ शब्द का प्रयोग करें:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आपस में हमेशा मिलकर है रहना, यह हमने ही सबों को बताया है कितना व्यापक है आदिवासी विचार धारा, इसे सिर्फ आप हमारे अभिवादन में प्रयुक्त होने वाले शब्द से जान सकते हैं। ‘जोहार’ बोल कर हम प्रकृति की जय बोल रहे हैं, सभी के जय की बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं तो चाहता हूं कि सभी लोग आदिवासी- गैर आदिवासी अभिवादन के लिए ‘जोहार’ शब्द का प्रयोग करें।

हेमन्त सोरेन भी लोन लेने जाए तो उसे पहली दफा नकार देंगे:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि छात्र-छात्राओं को पढने के लिए राशि उपलब्ध करवाने हेतु ‘गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लेकर आ रहे हैं मैं अपने समाज को जानता हूँ, अपने झारखंडी लोगों को समझता हूँ। मुझे पता है की बैंक से लोन प्राप्त करना मेरे युवा साथियों के लिए कितना कठिनाई पूर्ण रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन मोड में कार्यक्रम चलाकर हम किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्र-छात्राओं को पढने के लिए राशि उपलब्ध करवाने हेतु ‘गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ योजना लेकर आ रहे हैं। मैं अपने समाज को जानता हूँ, अपने झारखंडी लोगों को समझता हूँ। मुझे पता है की बैंक से लोन प्राप्त करना मेरे युवा साथियों के लिए कितना कठिनाई पूर्ण रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंक की स्थिति तो यह है कि हेमन्त सोरेन भी लोन लेने जाए तो उसे पहली दफा नकार देंगे। कहेंगे की आपका जमीन CNT/SPT के अंतर्गत आता है। हमारे युवा हुनरमंद होते हुए भी मजदूरी करने को विवश हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाड़ी चलाने आता है पर उसके पास पैसा नहीं है इसलिए वह सिर्फ ड्राईवर बन पाता है गाना गाने आता है पर उसके पास रिकॉर्डिंग करवाने के लिए पैसा नहीं है। बाल काटने आता है पर वह अपना सैलून नहीं खोल पाता है। बेल्डिंग करने आता है पर वह अपना वर्कशॉप नहीं खोल पाता है। हमने स्थिति को बदलने की ठानी। अब गाड़ी चलाने जानने वाला गाड़ी का मालिक बन रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज के समक्ष सबसे बड़ी समस्या क्रेडिट की उपलब्धता की रहती है तथा हम अपने आदिवासी लोगों को साहूकारों महाजनों के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं। मिशन मोड में कार्यक्रम चलाकर हम किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा रहे हैं।

झारखण्ड के युवकों को विश्वस्तरीय शिक्षा के अवसर प्रदान करना लक्ष्य:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने के लिए हम भाषा के शिक्षक बहाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड के युवकों को विश्वस्तरीय शिक्षा के अवसर प्रदान करने हेतु प्रारंभ किये गए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ लेकर पहले बैच के छात्र/छात्रा आज ब्रिटेन के संस्थान में अध्ययनरत हैं। पढेगा तब तो आगे बढेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार के जो पट्टे खारिज किये गए हैं हम फिर से इसका रिव्यू करेंगे एवं जो भी लंबित हैं उसे 3 महीने के अन्दर पूरा करेंगे।

100 किलो चावल तथा 10 किलो दाल दिया जाएगा:

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी परिवार में किसी की भी शादी के अवसर पर एवं मृत्यु होने पर उन्हें 100 किलोग्राम चावल तथा 10 किलो दाल दिया जाएगा। इससे सामूहिक भोज के लिए अब उन्हें कर्ज नहीं लेना पडेगा। साथ ही मेरी अपील होगी कि सामूहिक भोज करने के लिए कर्ज लेने से बचें। कर्ज लेना भी हो तो बैंक से लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाजनों से मंहगे ब्याज पर लिया गया कर्ज अब आपको वापस नहीं करना है। इसकी शिकायत मिलने पर महाजन पर कार्रवाई होगी ।

हमने ‘ट्राइबल यूनिवर्सिटी के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया है:

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार ने ‘ट्राइबल यूनिवर्सिटी के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया है। इसके माध्यम से मुख्य रूप से आदिवासी भाषा संस्कृति, लोक कल्याण शोध से सम्बंधित विषय को बढ़ावा दिया जाएगा। उम्मीद है कि इससे आदिवासी समाज एवं झारखण्ड से जुड़े प्राचीन ज्ञान को संरक्षित रखने के साथ-साथ इनकी विशिष्ट समस्याओं के समाधान को भी बल मिलेगा ।