झारखंड को केंद्र सरकार की तरफ से वित्तीय वर्ष 2022-23 के साढ़े चार महीना बीतने के बाद भी केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा अभियान से लेकर मिड डे मील योजना की राशि नहीं मिल सकी है। राज्य सरकार से इसके लिए फरियाद की गई, लेकिन पहली किस्त की राशि का अब तक भुगतान नहीं हो सका है।
राशि का भुगतान नहीं होने से स्कूली बच्चों को न तो पोशाक के लिए राशि मिल पा रही है, न ही स्कूल किट की और न ही मध्याह्न भोजन योजना में कुकिंग कॉस्ट की राशि आ रही है, जिससे कि नियमित मेनु के अनुसार मिड डे मील बच्चों को मिल सके।
केंद्र और झारखंड सरकार के प्रोजेक्ट एप्रुवल बोर्ड (पैब) की बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 900 करोड़ और मध्याह्न भोजन योजना के लिए 630 करोड़ की स्वीकृति हुई है। इसमें केंद्र को केंद्रांश के रूप में 60, जबकि राज्य सरकार को राज्यांश के रूप में 40 राशि खर्च करनी है। राज्य सरकार भी अपने मद की राशि तभी खर्च कर सकती है, जब केंद्र की ओर से केंद्रांश की राशि आ जाए। इस वजह से परेशानी हो रही है। जानकार बताते हैं कि केंद्र सरकार से जून महीने तक पहली किस्त की राशि आ जाती है, लेकिन अगस्त महीना भी आधा खत्म हो गया, लेकिन राशि नहीं आ सकी है। कई बार वित्तीय वर्ष के अंत में मार्च महीने में राशि आती है। इससे जिलों को राशि देने के बाद कम समय में उसका उपयोग नहीं हो पाने पर वह केंद्र को वापस हो जाती है। इससे वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित राशि तो आती है, लेकिन खर्च नहीं हो पाती है। 2021-22 में भी करोड़ रुपए खर्च नहीं हो पाने की वजह से राशि वापस हो गई थी।
मोदी सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण पुराने पोशाक में स्कूल को मजबूर विद्यार्थी:
समग्र शिक्षा अभियान की राशि केंद्र की ओर से नहीं आने से कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा असर बच्चों की पोशाक पर हो रहा है। शिक्षा विभाग ने पोशाक के लिए एलाटमेंट तो कर दिया, लेकिन राशि नहीं होने से इसका भुगतान नहीं हो पा रहा है। पहले जो राशि गई थी, उससे कुछ बच्चों की पोशाक खरीदी जा चुकी है, लेकिन अधिकांश बच्चे पुरानी पोशाक में ही स्कूल आ रहे हैं। राज्य सरकार ने इस साल नए रंग की पोशाक तय की है, जिससे कि एक ही स्कूल-क्लास में दो रंग की पोशाक में बच्चे दिख रहे हैं।
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