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NATION: “संशोधित भारतीय ध्वज संहिता_2021 एवं 2022” के तहत हुए बदलाव और उसके नियम जानने के लिए पढ़े पूरा खबर

Bharti Warish

NATION : पूरे देश में ‘संशोधित भारतीय ध्वज संहिता’ (Revised Flag Code of India) में लागू हो गयी है। केंद्र सरकार ने द्वारा दिसंबर 2021 में धवज संहिता (फ्लैग कोड) में संशोधन किया गया था ।यानी संशोधन करके पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडे को भी अनुमति दी गई. इसके बाद 20 जुलाई, 2022 को एक अन्य संशोधन के तहत केंद्र ने ऱाष्ट्रीय ध्वज को दिन के साथ-साथ रात में भी फहराने की अनुमति प्रदान कर दी है। लेकिन यह तब ही होगा जब झंडा किसी खुले स्थान पर किसी के घर पर फहराया जाएगा।

पृष्ठभूमि: इससे पहले ‘भारतीय ध्वज संहिता’, 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय धवज के निर्माण में केवल खादी या हाथ से काता हुआ कपड़ा की प्रयोग करने की अनुमति थी।

हर घर तिरंगा (हर दरवाजे पर तिरंगा) कार्यक्रम: ‘हर घर तिरंगा’ (Har Ghar Tiranga) कार्यक्रम में सरकारी भवनों, निजी कार्यालयों और आवासों को कवर करने का प्रस्ताव किया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग करने संबंधी क़ानून: ‘राष्ट्रीय ध्वज के फहराने’ तथा ध्वज के उपयोग और प्रदर्शन के संबंध में ‘राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम’, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) तथा ‘भारतीय ध्वज संहिता’, 2002 के तहत प्रावधान किए गए हैं।

ध्वज संहिता में किए गए पिछले संशोधन: ध्वज संहिता में पहले भी संशोधन किया जा चुका है। भारत की मूल ‘ध्वज संहिता’, 1947 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद वर्ष 2002 में संशोधन किया गया था।
इस संशोधन के द्वारा, झंडा प्रदर्शित करने या फहराये जाने संबंधी स्थानों की परिभाषा का विस्तार किया गया था। हालाँकि, इस संशोधन में ‘ध्वज संहिता’ के तहत ‘राष्ट्रीय ध्वज’ के विवरण से संबंधित अंश को नहीं छेड़ा गया गया था।

वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज, ‘पिंगली वेंकय्या’ द्वारा अधिकल्पित किए गए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वराज ध्वज पर आधारित है।
ध्वज में कई बार परिवर्तन किए जाने के बाद, वर्ष 1931 में कराची में आयोजित कांग्रेस कमेटी की बैठक में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज के संबंध में संवैधानिक और वैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 51A(a) – संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान सम्मान करना।

ध्वज का उपयोग करने के संदर्भ में क़ानून: संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 (Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act, 1950)
राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971)

सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का महत्व निम्नलिखित तरीके से बताया गया है: “अशोक चक्र” धर्म के विधान का पहिया है। चक्र यह प्रदर्शित करता है, कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।
भगवा रंग, अनासक्ति के परित्याग को दर्शाता है।
ध्वज के केंद्र में सफेद रंग की पट्टिका है, जो प्रकाश एवं हमारे आचरण का मार्गदर्शन करने के लिए सत्य के मार्ग को को दर्शाती है। हरा रंग, यहां की मिट्टी और वनस्पति से हमारे संबंध को दर्शाता है, जिस पर अन्य सभी जीवन का निर्भर होता है।