राजनीतिक क्राइसिस: भारत में राजनीतिक का अजीब सा खेल चल रहा है और जनता टीवी में चल रहे सीरियल देखने के भांति चुपचाप से देख रही है। केंद्र सरकार लगभग राज्य के सभी राज्य सरकारों से लड़ाई कर रहा है, तो इस हाल में देश की तरक्की कैसे होगी?
दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने क्या कहा:-
दिल्ली की नई शराब नीति में भ्रष्टाचार है, के आरोपों के बाद CBI जांच के दायरे में आए उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है. सिसोदिया ने कहा कि भाजपा ने उन्हें “AAP” तोड़कर भाजपा में शामिल होने का ऑफर दिया है।
सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मेरे पास भाजपा का संदेश आया है कि “AAP” छोड़ दो, जब छोड़ो तो उस पार्टी को तोड़ भी दो। हमारी पार्टी में आ जाओ। सारे CBI और ED के केस बंद करवा देंगे। मुख्यमंत्री भी बना देंगे।
महाराष्ट्र पर एक नजर
महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के विवादों के बारे में अखबारों में पढ़ने के लिए बहुत कुछ मिल जाता था। हाल ही में वहां लगातार छापामारी हुआ और उसके बाद उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी गई। शिवसेना के विधायकों ने पार्टी से बगावत करते हुए शिंदे की अगुवाई में बीजेपी के गठबंधन से महाराष्ट्र सरकार का पुनर्गठित किया गया है।
झारखंड की राजनीतिक गलियारों में
पिछले कुछ सालों से (25 दिसंबर, 2019) झारखंड की झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार है तब से लगातार झारखंड प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी समेत कई बड़े नेता की ओर से वर्तमान सरकार को अस्थिर करने का प्रयास की ख़बरें लगातार मिलते रहती है और लगातार बीजेपी के प्रदेश नेताओं के द्वारा अपने भाषणों में सरकार को गिराने की धमकी दिया जाता रहा है। हाल ही में कई घटनाओं से सूचनाएं मिल रही है कि केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।
देश के वर्तमान केंद्र सरकार पर राज्य सरकारों ने आरोप लगाते रहते हैं कि CBI, ED एवं लोकपाल जैसे संविधानिक एजेंसियों का इस्तेमाल कर राज्य सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं। आए दिन छापेमारी की खबर भी मिलती रहती है और उन खबरों में सिर्फ देश के विपक्ष के नेताओं पर ही छापेमारी हो रही है। तो लगातार इस खेल में देश और राज्य की तरक्की कैसे संभव हो पाएगा? पहले सरकारी जनता के द्वारा चुनी हुई लोकप्रिय पार्टी के समावेश से सकारे चलाई जाती थी। परंतु अब जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों को तोड़-मरोड़ कर सरकारें बनाने का यह सिलसिला लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रहार है। लगातार हो रहे विवादों से तरक्की पर गहरा असर पड़ रहा है और आम जनता सरकारी योजनाओं से वंचित हो जा रहे हैं।