रांची : क्या झारखंड की राजनीति में विपक्ष (भाजपा और आजसू) आज मुद्दाविहीन हो गयी है. झारखंड की राजनीति में यह सवाल लगातार उठ रहा है. उठना भी लाजिमी है. दरअसल आज किसी भी राज्य की राजनीति इसी के ईद-गिर्द धुमती है कि सत्तारूढ़ दल विकास का कोई काम कर रहा है या नहीं. सरकार अपना चुनावी वादें को पूरा कर रही है या नहीं. अगर नहीं कर रही है, तो विपक्ष का काम जनता के सामने जाकर सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगाना और राजनीति करना होता है. इससे उलट झारखंड की राजनीति में विपक्ष द्वारा ऐसा करना आज संभव नहीं हो पा रहा है. आज झारखंड की सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार विकास का वह हर काम को पूरा कर रही है, जो सीधे-सीधे जनता के हित से जुड़ी है. इसमें चुनावी वादों को भी पूरा करना शामिल हैं. शायद भाजपा और आजसू के शीर्ष नेता भी इस बात को भली-भांति जानते हैं. भाजपा और आजसू लगातार खोज रही है कि हेमंत सरकार अपने कितने चुनावी वादों को पूरा की है. लेकिन वह विफल ही रही है. यहीं कारण है कि विपक्ष खुद को पूरी तरह से मुद्दा विहीन मान हेमंत सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहा है।
रघुवर सरकार ने स्थानीयता को और विवादित बनाया, ओबीसी आरक्षण को कम तो भाजपा ने ही किया:
1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की पहल के बाद से ही भाजपा और आजसू नए मुद्दे की तलाश है. स्थानीय नीति झारखंडी जनमानस से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा है, जिसे लेकर दोनों ही पार्टियों ने केवल राजनीति रोटी सेंकी. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार 5 साल तक तो चली, पर इस दिशा में कोई काम नहीं की. रघुवर सरकार ने तो स्थानीयता को और विवादित बना दिया. वहीं, ओबीसी आरक्षण को लेकर तो भाजपा के पास कुछ बोलने को बचा ही नही है. सर्वविदित है कि राज्य गठन के बाद बाबूलाल मरांडी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ही राज्य में ओबीसी आरक्षण की सीमा को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत करने का काम किया था।
Jharkhand Politics: आजसू से दोनों मुद्दे को छिना, तलाश रही नए मुद्दे और संभावनाएं:
वहीं, स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण की पहल कर आजसू से दोनों बड़े मुद्दे छीन लिए गए. बता दें कि खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करना आजसू पार्टी का बड़ा मुद्दा था. राज्य गठन के बाद से पार्टी इन दोनों के आधार पर पर अपनी राजनीति करती रही. लेकिन जब हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली सरकार की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जब दोनों पर पहल की, तो आजसू का जोर शेष मुद्दों पर फोकस करने के साथ कुछ अन्य संभावनाएं तलाशने पर चला गया. यही कारण है कि अब आजसू पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा स्थानीयता एवं आरक्षण के संदर्भ में की गई पहल का स्वागत तो किया ही, साथ ही जातीय जनगणना की मांग की. आजसू आज इस मुद्दे पर हेमंत सरकार पर दबाव बनाने के प्रयास में है.
Jharkhand Politics: जातीय जनगणना की मांग तो हेमंत सरकार पहले ही कर चुकी है:
Jharkhand Politics: मुद्दाविहीन हो चुके विपक्ष आज लगा रहा अनर्गल आरोप, भाजपा शासन के घोटाले पर बात करें:
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