झारखंड हाईकोर्ट से नई नियोजन नीति के रद्द होने से झारखंडी युवाओं और आम जनमानस में काफ़ी नाराजगी है. हेमंत सरकार की नियोजन नीति के आने से उन्हें ऐसा लगने लगा था की अब हमारा भविष्य सुरक्षित है और अब नौकरियां भी मिलेंगी.
झारखंड बीजेपी क्या 1932 के खतियान का प्रस्ताव राज्यपाल रमेश बैस द्वारा केंद्र को भेजने की पक्षधर नहीं है? ऐसा इसीलिए क्योकि पार्टी ने पहले ही इस मामले में अपनी मजबूरी शायद जाहिर कर दी है. आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में राज्यपाल रमेश बैस के साथ सर्वदलीय मुलाकात की योजना तैयार की थी. मुलाकात के लिए समय भी मिल गया था. मगर 1932 के खतियान का प्रसतव नौवीं अनुसूची में शामिल हो और इसे केंद्र मंजूरी मिले. इससे पहले ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओ ने बहाना बनाकर इस सर्वदलीय मुलाकात से किनारा कर लिया है.
आज होने वाली सर्वदलीय मुलाकात में भाजपा के नेता शामिल नहीं होंगे. अब राज्यपाल के साथ सत्ताधारी दल के नेता ही शामिल होंगे. सर्वदलीय मुलाकात में शामिल ना होने के भाजपा के फैसले ने 1932 के प्रति बीजेपी की मंशा पर संदेह पैदा कर दिया है.
सीएम बोले – रातो रात पक गयी खिचड़ी : भाजपा के सर्वदलीय मुलाकात में शामिल ना होने के फैसले पर आज सीएम हेमंत सोरेन ने सदन में तंज कसते हुए कहा कि राज्यपाल से मुलाकात के लिए साढ़े तीन बजे का समय मिला है. इसके लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने को लेकर 19 दिसंबर को ही कार्य मंत्रणा पर सभी दलों से चर्चा हुई थी. रातभर में ऐसी कौन सी खिचड़ी पक गयी कि प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के लोग शामिल नहीं होंगे.
भाजपा बोली – नौवीं अनुसूची की समीक्षा कर सकता है सुप्रीम कोर्ट, मुलाकात बेईमानी : सर्वदलीय मुलाकात में शामिल ना होने के पीछे भारतीय जनता पार्टी ने तर्क दिया है कि राज्यपाल से मुलाकात बेईमानी है. नौवीं अनुसूची की समीक्षा भी सुप्रीम कोर्ट कर सकता है. सरकार खुद ही नीति बनाकर लागू करने में सक्षम है.