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JHARKHAND NEWS : झारखंडी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले बाहरी गिरोह का जल्द होगा पर्दाफाश

Bharti Warish

JHARKHAND NEWS : झारखण्ड के भोले-भाले युवाओं को भ्रमित करने का हो रहा प्रयास । हेमंत सरकार की झारखंड हितैषी नियोजन नीति के खिलाफ गए थे कोर्ट। झारखंडी युवाओं की हुई थी हकमारी

झारखंड के लिए नियोजन नीति और स्थानीय नीति राजनीतिक एजेंडा बनकर रह गई है। राज्य की सत्ता पर 22 वर्षों तक राज करने वाला कोई भी राजनीतिक दल झारखंड की मूल भावना के अनुरूप नियोजन नीति का निर्धारण नहीं कर सकी है। हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड के लोगों की भावना पर 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति निर्धारित की थी।


झारखंड में रद्द नियोजन नीति से नाराज राज्य के नौजवानों को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साधने की कोशिश की है। सीएम हेमंत सोरेन ने सड़क पर आंदोलनरत युवाओं को सदन के जरिये कहा है कि राज्य के नौजवान जो चाहेगा, मेरी सरकार उसी रास्ते पर चलेगी। सदन में नौजवानों को अपने संदेश में कहा कि आप चिंता ना करें, आपका भविष्य मेरी सरकार की प्राथमिकता है। उम्र सीमा, फॉर्म फी दोबारा नहीं लगना जैसे जो भी बाधाएं युवाओं के भविष्य के बीच में आएगी, उसका समाधान करूंगा।

हेमंत सोरेन ने कहा है कि हम जो कहते उसे करते भी है। 20 साल से झारखंड को प्रयोग शाला समझ रखा था। लेकिन ऊपर वाले वाले का आशीर्वाद है जो बचा लेती है। युवाओं को आगे बढ़ा कर राज्य में आग लगाने के प्रयास में जो लोग लगे हुए है उनको माकूल जवाब देखने और सुनने को मिलेगा ।

उन्होंने कहा कि कुछ सोशल मीडिया चैनल यूट्यूब कोचिंग संस्थान और तथाकथित छात्र नेता राजनीतिक दल के साथ मिलकर झारखंड के युवाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं सरकार इस पर लगातार नजर रख रही है ,और वक्त आने पर इसका माकूल जवाब दिया जाएगा।

यह लोग मिलकर झारखंड के युवाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं इसमें झारखंड से बाहर के लोगों का हाथ है या हीरो नहीं चाहता है कि झारखंड के युवा योगिता परीक्षा दे सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद कहा कि सरकार का प्रयास था कि राज्य के मूलवासियों व आदिवासियों के लिए नियोजन नीति बनाई जाए। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि इसके पहले जो राज्य में नौकरी लेकर आए थे, वे न तो यहां की संस्कृति और न ही यहां की भाषा से परिचित थे। वे यहां क्या कर रहे होंगे, यह समझा जा सकता है।

सरकार इस राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों के प्रति प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों की अपनी नियोजन नीति है, लेकिन झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को परेशानी ज्यादा हो रही है। नियोजन नीति के विरोध में जो लोग झारखंड उच्च न्यायालय में शिकायतकर्ता थे, वे बिहार और उत्तर प्रदेश के थे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के नौजवानों को नौकरी के लिए फार्म भरने की दर घटाई ।

अब नई नीति में उन्हें दोबारा फार्म भरना पड़ेगा या नहीं, इस बिंदु पर भी विचार किया जाएगा। राज्य सरकार बौद्धिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षित बनाने में जुटी है ताकि उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़े।


झारखंड में नियोजन नीति फंस गयी। हेमंत सोरेन की सरकार ने नियोजन नीति-2021 बनायी थी। इसमें यह प्रावधान था कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में सामान्य वर्ग के उन्हीं लोगों की नियुक्ति हो सकेगी, जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा झारखंड से पास की हो। रांची हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है और कहा है कि यह समानता के अधिकार के अधिकार के खिलाफ है।

हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद नयी नियोजन नीति के प्रावधानों के अनुरूप हो चुकीं या होने वाली वाली तकरीबन 50 हजार नियुक्तियों पर सीधा असर पड़ा है। तकरीबन दो दशक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने स्थानीयता बनायी थी।

भारी बवाल विवाद बाद उसे भी कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इस बार हेमंत सोरेन ने भी 1932 के खतियान के आधार पर ही स्थानीयता नीति बनाने की तैयारी की है, यह जानते और स्वीकारते हुए कि अदालत में इस पर हथौड़ा चल सकता है। राजनीतिज्ञों की अदूरदर्शिता के कारण बार- बार झारखंडी ठगे जा रहे हैं।
हेमंत सोरेन की सरकार ने अब तक के अपने कार्यकाल में तीन अहम फैसले लिये हैं, जिसकी तारीफ झारखंडी आदिवासी-मूलवासी समाज कर रहा है।

कानूनी दांव- पेंच और सियासी चाल समझने में आम आदमी तो अक्षम ही होता है, पर सत्ताधारी दलों के नेता इसे उनके हित में बता कर उनकी सहानुभूति बटोरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। हेमंत की सरकार ने नयी नियोजन नीति बनायी, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। हेमंत सोरेन की दूसरी बड़ी उपलब्धि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति बनाने का प्रस्ताव विधानसभा से पास कराना। हेमंत ने नेतरहाट फायरिंग रेंज को बंद करने का लोकलुभावन वादा भी किया है।

यह जानते हुए भी कि यह रक्षा मंत्रालय के दायरे में है, उन्होंने लोगों को खुश करने के लिए यह घोषणा की है। सबसे दिलचस्प तो यह कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति तो बन जाएगी, लेकिन की नौंवीं अनुसूची में इसे शामिल करना होगा। दूसर कि इसी साल विधानसभा में खुद हेमंत सोरेन ने स्वीकार किया था कि 1932 के आधार पर स्थानीयता नीति बनती भी है तो उसके कोर्ट में खारिज हो जाने का खतरा है। इसीलिए उन्होंने केंद्र की नौवीं अनुसूची का पेंच फंसा दिया। सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे वाले अंदाज में |

इसी साल 14 सितंबर को स्थानीयता नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। प्रस्ताव के मुताबिक झारखंड की भौगोलिक सीमा में जो रहता हो और स्वयं अथवा उसके पूर्वज के नाम 1932 अथवा उसके पूर्व के सर्वे के खतियान में दर्ज हों, वह झारखंडी माना जाएगा। भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान ग्राम सभा करेगी, जिसका आधार झारखंड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन, वेश-भूषा, संस्कृति और परंपरा होगी। पेंच इसमें यह फंसा है कि इस प्रावधान को भारत के संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा।

अधिनियम संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत ही प्रभावी माना जाएगा। सभी जानते हैं कि स्थानीयता नीति राज्य सरकार के दायरे की बात है तो इसमें केंद्र की भूमिका क्यों तय कर दी गयी। जो लोग थोड़ा बहुत राजनीति 9 समझ रखते हैं, उन्हें मालूम है कि यह हेमंत सरकार राजनीतिक स्टंट है। झारखंड प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष सांसद दीपक प्रकाश का कहना है कि हेमंत सरकार मुद्दों को लटकाने, भटकाने और अंटकाने का काम करती है। यह सरकार केवल योजनाओं को लटकाने।


रघुवर दास सरकार में राज्य को पहली नियोजन नीति मिली। यह नीति 14 जुलाई 2016 को अधिसूचना जारी कर लागू किया गया। इस नीति में राज्य के 24 जिला में से 13 जिला को अनुसूचित और 11 जिला को गैर अनुसूचित घोषित किया गया। यह नियोजन नीति कोर्ट में गयी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। हेमंत सरकार की नियोजन नीति।


हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद दूसरी नियोजन नीति बनी। इस नीति के तहत थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी में सामान्य वर्ग के उन्हीं लोगों को नौकरी मिलती जिन्होंने झारखंड से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की हो। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और नीति को रद्द कर दिया।
इसलिए तीसरी नियोजन की पड़ी जरूरत झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार में बनी नियोजन नीति को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। इसके बाद शीतकालीन सत्र के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि जैसा युवा चाहेंगे वैसी नियोजन नीति बना विज्ञापन भी निकाला गया ।


राज्य सरकार 2016 से पहले जिस प्रक्रिया के तहत नियुक्ति करती थी, उसी को अपनाने पर विचार की है। साल 2016 पहले आवेदन के दौरान उम्मीदवारों से पूछा जाता था कि आप झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं। अगर उम्मीदवार का जवाब “हां” होता तो उससे उसका आधार नंबर मांगा जाता था। इसके अतिरिक्त उस समय 50 फीसदी सीट ओपन था और 50 फीसदी आरक्षित श्रेणी के लिए था। संशोधन के साथ होगा लागू।


सूत्र के मुताबिक साल 2016 से पहले की नीति को हु- बहु नहीं लिया जाएगा। इसमें कई नयी बातें होंगी। इसमें एक आरक्षण का प्रतिशत होगा। पहले 50-50 फीसदी था। अब कुल सीट का 40 फीसदी ओपन, 10 फीसदी इडब्ल्यूएस और 50 आरक्षित होगा। इसके अतिरिक्त दूसरी नियोजन नीति को हाईकोर्ट से रद्द किए जाने के बाद 11 जनवरी को सीएस सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इस बैठक में दो प्रस्ताव सामने आए। हालांकि अंतिम निर्णय सीएम हेमंत सोरेन पर छोड़ा गया है।


पहला प्रस्ताव, राज्य के मान्यता प्राप्त संस्थान ने मैट्रिक-इंटर पास करने की अनिवार्यता हटाई जाए। दूसरा प्रस्ताव, उम्मीदवारों को स्थनीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश के ज्ञान होने की अनिवार्यता हटाई जाए।