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महुआ मोइत्रा और दीपिका पांडे ने चुनावी हलफनामे एवं डिग्री पर उठाए सवालों पर BJP सांसद निशिकांत दुबे ने “वैशाली की नगरवधू” कहा, जाने क्या है पूरा मामला

Ranchi: झारखंड से गोड्डा संसदीय सीट के सांसद निशिकांत दुबे अब अशोभनीय भाषा के प्रयोग में उतर आए हैं. दरअसल दो महिला जनप्रतिधिनियों द्वारा उनपर लगाए आरोपों का जवाब देने की जगह वे उन्हें ‘वैशाली की नगरवधू’ शब्द से संबोधित कर रहे हैं. सवाल कि क्या एक सांसद किसी महिला के लिए ऐसी भाषाओं का उपयोग कर सकता है? दुबे ने एक महिला सांसद और एक महिला विधायक का जिक्र करते हुए ‘वैशाली की नगरवधू’ का उदाहरण दिया है. उन्होंने ही कहा है कि सांसद प. बंगाल की है और विधायक झारखंड की. लोग इसे क्रमशः महुआ मोइत्रा और दीपिका पांडेय सिंह से जोड़कर देख रहे हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वातिमाल ने इसकी निंदा की है.

विवाद कोई नया नहीं, लेकिन इस बार तर्क जोरदार..

अब विवाद का कारण जानते हैं. वैसे विवाद का कारण कोई नया है. करीब दो साल पहले सांसद पर फर्जी शैक्षणिक डिग्री (एमबीए की डिग्री) लेने का कथित आरोप लगा था. इसी फर्जी डिग्री को निशिकांत पर चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगा. एक बार तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे के फर्जी डिग्री और उनके उम्र को लेकर मामला उठाया है. इसी आधार बनाकर संथाल परगना से कांग्रेस के दो सांसद दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव ने भी मामले को तूल दिया. हालांकि इस बार आरोप का आधार काफी मजबूत है.

फर्जी डिग्री से विवादित जमीन पर मॉल, ऐसे आरोपों से घिरते रहे हैं निशिकां दुबे.

ऐसा नहीं है कि भाजपा सांसद पर केवल फर्जी डिग्री का ही आरोप लगा हो. उनके गृह राज्य बिहार के भागलपुर में एक विवादित जमीन पर उनके द्वारा मॉल बनाने तक का आरोप लगा. इसके बावजूद पूरे मामले की आज तक कोई जांच नहीं हुई. वहीं, अब निशिकांत दुबे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

दो लोकसभा चुनाव, दो शपथ पत्र और दोनों में उम्र में 10 साल का अंतर

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे पर फर्जी डिग्री और उनके उम्र को लेकर आरोप लगाते हुए जो तर्क दिया है, वह काफी गंभीर है. मोइत्रा ने सोशल मीडिया में दो दिन पहले दावा किया कि निशिकांत दुबे की ओर से फाइल किए गए शपथपत्र में उनकी शिक्षा और उम्र को लेकर अगल-अलग दावे किए गए हैं. मोइत्रा को मुताबिक 2009 के शपथ पत्र में सदस्य (निशिकांत दुबे) की आयु 37 साल है जबकि 2014 के शपथ पत्र में उम्र 42 साल. दोनों ही शपथ पत्रों में 1982 में मैट्रिंक पास करने का जिक्र है. मतलब हुआ कि उन्होंने 10 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास की है.

दिल्ली और प्रताप यूनिवर्सिटी के दो डिग्री से निशिकांत को ठहराया जा रहा फर्जी.

इससे पहले तृणमूल सांसद ने राजस्थान के प्रताप यूनिवर्सिटी से भाजपा सांसद की एमबीए डिग्री की कॉपी को साझा किया और इसे फर्जी बताया. कहा, निशिकांत ने अपने 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव हलफनामे में “दिल्ली विश्वविद्यालय से अंशकालिक एमबीए” होने का दावा किया. जबकि 27 अगस्त 2020 को दिल्ली विश्वविद्यालय ने आरटीआई के तहत मांगे एक जवाब के लिखित उत्तर में कहा कि निशिकांत दुबे के नाम वाले किसी भी व्यक्ति ने साल 1993 में दिल्ली विश्वविद्यालय में किसी तरह का एमबीए कोर्स नहीं किया. तृणमूल सांसद ने बताया कि 2019 के लोकसभा हलफनामे में निशिकांत दुबे ने एमबीए का कोई उल्लेख नहीं किया. केवल कहा कि उन्होंने 2018 में राजस्थान के प्रताप विश्वविद्यालय से मैनजमेंट (प्रबंधन) में पीएचडी डिग्री ली. जबकि हकीकत यही है कि वैलिट मास्टर डिग्री के बिना कोई भी पीएचडी नहीं कर सकता है.

झारखंड कांग्रेस के दो विधायकों ने कहा – ‘फर्जी निशिकांत’

निशिकांत पर लगे कथित आरोपों के बाद कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव ने भी सवाल उठाया. दोनों विधायकों ने निशिकांत को फर्जी करार दिया और कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता से खत्म करने से पहले अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में बोलना चाहिए.

हेमंत सरकार की स्थिरता पर सवाल उठाने वाले निशिकांत आखिर क्यों हुए चुप.

कथित फर्जी डिग्री मामले में निशिकांत दुबे को भाजपा शीर्ष नेतृत्व से शायद कोई फटकार नहीं लगे, लेकिन इतनना तो तय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगातार विवादित बयानबाजी करने के मामले में तो उन्हें फटकार लगी है. मुख्यमंत्री पर जब कथित खनन विवाद मामले का गलत आरोप लगा, तो सरकार की स्थिरता को लेकर निशिकांत दुबे द्वारा कई दावा किया गया. लेकिन सच्चाई यही है कि यह दावा पूरी तरह से विफल साबित हुआ है. दावा किया जा रहा है कि भाजपा सांसद को शीर्ष नेतृत्व ने कड़ी फटकार लगायी है.