Hazaribagh: विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व कुलपति मुकुल नारायण देव का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो गया है. उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा है. लेकिन कुलपति से पूर्व होने के बाद भी विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है. छात्र नेताओं से लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. कोई पूर्व वीसी के पक्ष में है तो कई विपक्ष में कुलपति के पद की गरिमा को धूमिल करने की बात कर रहे है.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग राजनीति का अखाड़ा बन गया है. पहले पर्दे के पीछे से खेल चला और मौका मिलते ही वीसी बंगला को सॉफ्ट टारगेट बना सियासी जंग तेज हो गई. राजभवन तक पत्राचार होने लगा. कोई पूर्व वीसी, तो कोई प्रभारी वीसी के समर्थन में उतर आये. एक-दूसरे के खिलाफ विभिन्न दलों के नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई. सोशल मीडिया पर भी बहस तेज हो गई है.
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दरअसल, कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव के तीन साल के कार्यकाल पूरा होने के बाद रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा को विनोबा भावे विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति बनाया गया है.
Hazaribagh वीसी आवास खाली नहीं करने को विश्वविद्यालय की गरिमा और कुलपति की मर्यादा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण
झारखंड मुक्ति मोर्चा के छात्र नेता चंदन सिंह ने कुलपति और राज्यपाल को आवेदन लिख कर विभावि में उत्पन्न समस्याओं से अवगत कराया है. पत्र में छात्र नेता ने पूर्व कुलपति द्वारा वीसी आवास खाली नहीं करने को विश्वविद्यालय की गरिमा और कुलपति की मर्यादा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी घोर निंदा की है. साथ ही पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
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