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सीएम Hemant Soren की ED के खिलाफ दायर याचिका पर नहीं हुई सुनवाई, अदालत ने बताया कारण

सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) द्वारा ईडी के समन को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल क्रिमिनल रिट पिटीशन में त्रुटि रहने के कारण मामले की सुनवाई अब 11 अक्टूबर को होगी.

शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हाइब्रिड मोड में मामले की सुनवाई हुई. साथ ही प्रार्थी की ओर से कहा गया कि इस मामले में दिल्ली से सीनियर एडवोकेट पक्ष रखेंगे इसलिए 11 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की जाए. इस दौरान कोर्ट ने प्रार्थी हेमंत सोरेन को इस याचिका की त्रुटियों को दूर करने का भी निर्देश दिया.

दरअसल, ईडी ने पांचवा समन जारी कर सीएम हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए 4 अक्टूबर को रांची स्थित जनरल कार्यालय में बुलाया था. लेकिन वह ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे, सीएम के अधिवक्ता की ओर से 4 अक्टूबर को ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को पत्र लिखकर बताया गया था यह मामला हाईकोर्ट में विचारणीय है, यह मामला जब तक हाई कोर्ट में डिसाइड नहीं होता है तब तक सीएम को जारी समन पर कार्रवाई न की जाए.

Hemant Soren ने ED द्वारा लगातार भेजे जा रहे समन के बाद न्यायालय जाने का किया है फैसला

बीते 23 सितंबर को सीएम की ओर से ईडी के समन के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दाखिल की गई थी. इसमें उनकी ओर से कहा गया है कि ईडी एवं इसके अधिकारी या कर्मी को समन के आधार पर उन पर कार्रवाई से रोका जाय साथ ही ईडी को आगे भी समन जारी करने से रोक लगाने का अभी आग्रह किया गया है.

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सीएम ने ईडी पर चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की साजिश करने सहित पीएमएलए 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी है. आईपीसी के तहत किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, लेकिन पीएमएलए एक्ट की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के दिए गए बयान की कोर्ट में मान्यता है. ईडी को मिले शक्तियों के तहत बयान दर्ज कराने के दौरान किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार ईडी के पास है.