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बाबूलाल मरांडी के पत्र से एक बात तो साबित होती है कि भाजपा और ईडी एक दूसरे की पर्यायवाची बन गई है!

रांची: राज्य में संवैधानिक संकट बिगड़ने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को राज्यपाल को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी द्वारा राज्य सरकार को भेजे रिपोर्ट को आधार बताते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। पत्र में बाबूलाल ने बिना किसी ठोस सबूत और आधार के हेमंत सोरेन सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। लेकिन उनके पत्र से एक बात तो साफ हो गया है कि भाजपा और ईडी एक दूसरे पर्यायवाची हो चुकी है। दोनों का टारगेट केवल हेमंत सोरेन सरकार है।

राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार तो बाबूलाल को पता होना चाहिए

ईडी द्वारा 10 मामलों में राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर जो सवाल पूछा गया है, उसे ही संवैधानिक व्यवस्था खराब होने का आधार भाजपा नेता ने बनाया है। बाबूलाल का आरोप हैं कि जांच एजेंसी को न तो कोई जवाब दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई। बाबूलाल मरांडी के मुताबिक उन्होंने भी ईडी के बातों की सच्चाई की जांच को अपने स्तर से जानने के लिए उचित प्रयास किए और आरोपों को सत्य और सही पाया। अगर बाबूलाल यह दावा कर रहे हैं, तो उन्हें इसका भी सबूत पेश करना चाहिए। बाबूलाल स्वंय मुख्यमंत्री जैसे पद पर रह चुके हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि केवल हवा-हवाई तरीके से आरोप राज्य की संवैधानिक व्यवस्था खत्म होने का आधार नहीं बन सकता।.

बाबूलाल के आरोपों का राज्य के अधिकारी ही कर रहे हैं खंडन।

हर बार पत्र लिखकर हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने वाले बाबूलाल के आरोपों में थोड़ी सी भी सच्चाई नहीं दिख रही है। उनके आरोपों का तो राज्य के अधिकारी ही खंडन कर रहे हैं। बीते दिनों झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) द्वारा दो ग्रिड सब स्टेशन यथा चांडील व कोडरमा के लिए निकाले टेंडर को लेकर भी बाबूलाल ने आरोप लगाए हैं। भाजपा नेता के मुताबिक झारखंड राज्य विधुत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के अनुमोदन के बिना टेंडर निकालना सरासर सरकारी राशि का दुरूपयोग है। भविष्य में जेएसईआरसी द्वारा बिजली टैरिफ दर निर्धारण में कोई विचार नहीं होगा।

बाबूलाल से ऐसी हल्की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती – के.के.वर्मा।

बिजली विभाग पर लगाएं इन आरोप पर ऊर्जा विभाग ट्रांसमिशन निगम के एमडी केके वर्मा ने पक्ष रखते हुए कहा था कि बाबूलाल मरांडी पूर्व सीएम रह चुके हैं। यह आरोप लगाने से पहले उन्हें पूरा टेंडर कॉपी एक बार पढ़ लेना चाहिए, या फिर किसी जानकार से पढ़वा लेना चाहिए। उनसे इतनी हल्की बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है। क्योंकि वर्ष 2016 में ही नियामक आयोग ने इसे रूल एंड रेगुलेशन के तहत एप्रूव कर दिया था। बिजली दर और टैरिफ की रेट 3.10 रुपये तक फिक्स हो चुकी है।