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आयातित नेताओं की पार्टी बन चुकी झारखंड भाजपा में ‘तूफान से पहले की शांति’ की स्थिति, कार्यकर्ता गौण तो सामान्य वर्ग के जनप्रतिनिधि भी हासिए पर

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BJP Jharkhand: झारखंड भाजपा के अंदर ”तूफान से पहले की शांति” वाली स्थिति बन गयी है। पार्टी की तन-मन-धन से सेवा करने वाले कार्यकर्ता आज गौण होते जा रहे हैं। प्रदेश और शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ इनके अंदर जबरदस्त नाराजगी है। यह नाराजगी कभी भी ज्वालामुखी बनकर फूट सकती है। नाराजगी का कारण है  कि प्रदेश भाजपा के प्रमुख पदों पर आज ऐसे कार्यकर्ताओं की जगह आयातित नेताओं को तरजीह देने की शुरूआत। ऐसे नेताओं में अर्जुन मुंडा, दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी सरीके नेता तो शामिल थे हैं, अब इसमें अमर कुमार बाऊरी और जेपी पटेल भी शामिल हो गए हैं। इससे सच्चे कार्यकर्ताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है। ऐसे कार्यकर्ताओं में सामान्य वर्ग के जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। कोई बड़ा पद नहीं मिलने से वे खुद को हासिए पर जाते महसूस कर रहे हैं। ऐसे नेताओं में रांची विधानसभा से छह टर्म विधायक रह चुके सीपी सिंह और अनंत ओझा सरीके नेता शामिल हैं।

भाजपा को जीवन भर अपमानित करने वाले नेता आज शीर्ष पदों पर विराजमान।
एक अहम फैसले के तहत अमर कुमार बाउरी भाजपा विधायक दल के नेता बनाए गए हैं, जबकि जेपी पटेल को विधानसभा सचेतक की जिम्मेवारी सौंपी गयी है। इसमें अमर कुमार बाउरी झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) से आयातित किए गए हैं, तो जेपी पटेल झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से। इसी तरह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी तो करीब 14 साल तक झाविमो के सुप्रीमो बनकर भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं। इसी तरह अर्जुन मुंडा ने भी अपनी राजनीति कैरियर की शुरूआत झामुमो से की थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी भाजपा को कभी लात मारकर बाबूलाल के साथ जेवीएम चले गए थे। यानी भाजपा को जीवन भर अपमानित करने वाले उपरोक्त सभी नेता आज भाजपा के शीर्ष पदों पर विराजमान है।

सामान्य वर्ग के समर्पित नेताओं को भी किया गया साइड आउट।


आयातित नेताओं के कारण आज प्रदेश भाजपा में सामान्य वर्ग के जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता भी खुद को हासिए पर जाते महसूस कर रहे हैं। कयास लगाया जा रहा था कि विधायक दल के नेता का पद किसी सामान्य वर्ग को मिलेगा। इसमें सीपी सिंह का नाम सबसे ऊपर था। इसमें एक नाम अनंत ओझा का भी था। लेकिन आयातित नेताओं को विधायक दल के नेता और सचेतक का पद देकर ऐसे समर्पित नेताओं को भी साइड आउट कर दिया गया है।

जो कभी साथ थे उन्होंने ही धोखा दिया, रघुवर सरकार पर खऱीद-फरोख्त का आरोप लगा, वे ही आज प्रमुख पदों पर।


आश्चर्य तो इस बात की होती है, जिन आयतित नेताओं को लेकर आज भाजपा में  ”तूफान से पहले की शांति” वाली स्थिति बनी है, वे कभी साथ थे। ऐसे नेता अमर कुमार बाऊरी और बाबूलाल मरांडी शामिल हैं। दोनों नेता जेवीएम में थे। 2014 विधानसभा चुनाव के बाद अमर बाऊरी के साथ जेवीएम के पांच विधायक रघुवर दास सरकार में शामिल हो गए। तब बाबूलाल ने ही रघुवर सरकार पर विधायकों के खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था। आज यहीं दोनों नेता प्रदेश भाजपा में शीर्ष पद पर बैठ गए हैं।