

Shibu Soren Death: झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक, शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार को 81 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके जाने के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के इतिहास का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया।
Shibu Soren Death: हेमंत सोरेन का भावुक वादा: “आपका सपना, अब मेरा संकल्प”
अपने पिता के निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट साझा किया। उन्होंने लिखा- “मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं…आपने जो सपना देखा था, वही अब मेरा वादा है।” यह केवल एक पुत्र का शोक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक उत्तराधिकारी की कसमें थीं, जो झारखंड की आत्मा को आगे बढ़ाने का प्रण ले रहा है।
मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूँ।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 5, 2025
मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया,
झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।
मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था
वे मेरे पथप्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे,
और उस जंगल जैसी छाया थे
जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को
धूप और…
‘दिशोम गुरु’ कौन थे और क्यों थे इतने महत्वपूर्ण?
शिबू सोरेन न सिर्फ JMM के संस्थापक थे, बल्कि उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी। आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में वे एक प्रतीक बन चुके थे। उनका नाम झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी श्रद्धा और आदर से लिया जाता है।
Shibu Soren: क्या शिबू सोरेन की विरासत अब हेमंत सोरेन संभाल पाएंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब इस बात पर हैं कि क्या हेमंत सोरेन अपने पिता की विरासत को उसी मजबूती से संभाल पाएंगे। ‘दिशोम गुरु’ की नीतियां, उनकी विचारधारा और जनता से जुड़ाव-ये सब अब हेमंत के कंधों पर है।
Shibu Soren Death: जनता में शोक और श्रद्धांजलि की लहर
सोशल मीडिया से लेकर गांव-गांव तक शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी जा रही है। झारखंड के कई हिस्सों में शोकसभा आयोजित की गई। आम जनता उन्हें ‘जननेता’ और ‘आदिवासी गौरव’ कहकर याद कर रही है।




