
Nemra ( Ramgarh) गांव की पगडंडियों पर चलते, किसानों से बातें करते और जल-जंगल-ज़मीन के मुद्दों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री Hemant Soren में आज भी उनके पिता, दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन की परछाई साफ़ दिखती है। यह रिश्ता सिर्फ़ खून का नहीं, बल्कि विचारों, संघर्ष और सेवा के संकल्प का है। गांव के प्राकृतिक माहौल में पले-बढ़े मुख्यमंत्री आज भी सादगी और जुड़ाव की उसी विरासत को जी रहे हैं, जो गुरुजी ने दशकों तक निभाई। अपने पैतृक गांव नेमरा के दौरे में उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और समाधान का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री का कहना है—”राजनीति सत्ता का खेल नहीं, जनता की सेवा और अधिकारों की रक्षा का माध्यम है,” और यही सोच उनके हर कदम में झलकती है।
मुख्यमंत्री का बचपन खेतों की हरियाली, नदियों की कलकल ध्वनि और ताज़ी हवा के बीच बीता, जिसने उनके भीतर प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम जगाया। उनका मानना है कि जल, जंगल और ज़मीन केवल संसाधन नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा हैं, जिनका संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए अनिवार्य है। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार इन तीनों क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, ताकि झारखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक पहचान के साथ आने वाले कल में भी हरा-भरा और जीवनदायी बना रहे। मुख्यमंत्री का सपना है—गांवों में मजबूत बुनियादी सुविधाएं, पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाता विकास और एक ऐसा झारखंड जो अपनी जड़ों से जुड़ा रहे।
