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Parasnath पहाड़ पर मांस और शराब बिक्री को लेकर विवाद, धार्मिक स्थल की पवित्रता बचाने की जंग हाईकोर्ट पहुंची

Megha Sinha


झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित Parasnath पहाड़, जिसे जैन धर्मावलंबी “समेत शिखर” के नाम से भी जानते हैं, इन दिनों विवादों के केंद्र में है। यह स्थल जैन समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है, लेकिन वर्षों से यहां मांस और शराब की बिक्री, पिकनिक पार्टियों और अतिक्रमण जैसी गतिविधियों की वजह से इसकी धार्मिक गरिमा को ठेस पहुँच रही है। इसी को लेकर जैन संस्था ‘ज्योति’ की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में हुई, जहां गिरिडीह जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) द्वारा स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट पेश की गई। कोर्ट ने इस रिपोर्ट की प्रति याचिकाकर्ता और प्रतिवादी, दोनों को उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर तय की है।

पारसनाथ पहाड़ जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों का मोक्षस्थल माना जाता है, जिसके कारण यह स्थल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। बावजूद इसके, याचिका में बताया गया है कि यहां खुलेआम शराब और मांस की बिक्री हो रही है, साथ ही आसपास के क्षेत्रों में अतिक्रमण फैल रहा है। पिकनिक मनाने वालों के कारण वातावरण की पवित्रता भंग हो रही है। जैन समुदाय का कहना है कि राज्य सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है, लेकिन विकास कार्यों में धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं किया जा रहा। याचिका में केंद्र सरकार की उस अधिसूचना का भी उल्लेख है जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि पारसनाथ पहाड़ी पर किसी भी प्रकार की गतिविधि जैन धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनाओं के अनुरूप होनी चाहिए।

कोर्ट के निर्देश पर DLSA सचिव ने स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की, जिसमें वर्तमान स्थिति का विस्तृत विवरण दिया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं — इंद्रजीत सिन्हा, खुशबू कटारुका और शुभम कटारुका — ने दलील दी कि धार्मिक स्थल की गरिमा बचाने के लिए शराब और मांस की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए और अतिक्रमण हटाया जाए। साथ ही, धार्मिक स्थलों पर पिकनिक जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की मांग भी की गई। खंडपीठ ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सभी पक्षों से विस्तृत जवाब देने को कहा है। अब 16 सितंबर को होने वाली सुनवाई में तय होगा कि पारसनाथ पहाड़ की पवित्रता और जैन समुदाय की भावनाओं को बचाने के लिए अदालत क्या ठोस निर्देश जारी करती है।