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Jharkahnd News : मुख्यमंत्री Hemant Soren ने लुगूबुरु महोत्सव के समापन पर दिखाई संस्कृति और परंपरा के प्रति अटूट आस्था

Megha Sinha
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Jharkahnd News : झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक लुगूबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव-2025 अपने भव्य समापन समारोह तक पहुंचा, जहां मुख्यमंत्री Hemant Soren मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्यमंत्री Hemant Soren अपनी धर्मपत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन के साथ पुनाय थान पहुंचे और पारंपरिक विधि-विधान से लुगू बाबा की पूजा-अर्चना की। उन्होंने राज्यवासियों की सुख-समृद्धि, खुशहाली और शांति की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था की जीवंत मिसाल है। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी परंपरा जितनी गहरी होगी, हमारा समाज उतना ही मजबूत होगा।

मुख्यमंत्री Hemant Soren ने कहा कि लुगूबुरु महोत्सव संताल समाज के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आकर लुगू बाबा का दर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थल केवल झारखंड नहीं, बल्कि पूरे देश की आध्यात्मिक पहचान बन चुका है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार इस तीर्थस्थल को बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि लुगूबुरु, घांटाबाड़ी झारखंड की आस्था का केंद्र है और इसे विश्व पटल पर विशेष पहचान दिलाने का प्रयास जारी है। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं के उत्साह और सहभागिता की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन आने वाले वर्षों में और अधिक भव्य और समृद्ध होगा।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और घोषणा की कि लुगूबुरु में उनकी स्मृति में टेराकोटा शैली में निर्मित प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु का लुगूबुरु के प्रति गहरा लगाव रहा है और उनकी प्रेरणा ही इस महोत्सव की आत्मा है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक एकता और परंपरा की रक्षा पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति की रक्षा का प्रतीक रहा है और हमें अपने पूर्वजों के बताए मार्ग पर चलकर जल-जंगल-जमीन की रक्षा करनी होगी। इस अवसर पर कई मंत्री, विधायक, अधिकारी और हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक महोत्सव को एक सांस्कृतिक पर्व में बदल दिया।