Skip to content
Advertisement

हेमंत सोरेन के बढ़ते कद से घबरा गयी है भाजपा? इसलिए बाबूलाल के सहारे अपने कुनबे को बचाने की कर रही कोशिश

झारखंड की राजनीती फिर एक चर्चे में ऐसा इसलिए क्यूंकि झाविमो के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के भाजपा में जाने की अटकले काफी तेज है सम्भवता ये माना जा रहा है की 16 या 17 जनवरी को बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल होंगे। साल 2000 में जब झारखण्ड बिहार से अलग हुआ तो उस समय केंद्र में अटल बिहारी यानीं भाजपा की सरकार थी. बाबूलाल मरांडी केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके है जिसका फायदा उनको मिला और झारखंड के पहले मुख्य्मंत्री बन गये. अपने राजनितिक जीवन की शुरुवात करने से पहले बाबूलाल मरांडी स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के भी कार्यकर्त्ता रह चुके है.

Advertisement
Advertisement

ads

Also Read: जनता को परेशान करने वाले अधिकारी हो जाये सावधान ! क्यूंकि ये है हेमंत सरकार

2019 के विधानसभा में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो 81 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ी थी. जिसमे से सिर्फ तीन सीट ही जीत पायी। जबकि भाजपा 25, झामुमो 30, कांग्रेस 16, राजद 1 और आजसू ने 2 सीटों पर जीत हासिल कर पायी थी. भाजपा 2019 का विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद डैमेज कंट्रोल में लग गयी है. क्यूंकि भाजपा के पास फिल्हाल ऐसा कोई नेता नहीं है जो हेमंत सोरेन को चुनौती दे पाए.

लगातार कई राज्यों में मिली हार के बाद भाजपा झारखंड में खुद के वजूद को बचने के लिए जद्दो-जहद कर रही है. हाल ही में संपन्न हुए झारखंड विधानसभा चुनाव ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नींद उदा दी है. झारखंड में ऐसा कोई नेता फिल्हाल नजर नहीं आ रहा है जो हेमंत सोरेन को चुनौती दी पाए. ऐसी स्थिति में भाजपा से रूठ करके 2006 में अलग होने वाले बाबूलाल मरांडी को साथ लेन की जुगाड़ होने लगी है. मिली जानकारी के अनुसार बाबूलाल मरांडी की भाजपा के केंद्रीय नेताओ से बातचीत पूरी हो गयी है. बाबूलाल मरांडी को साथ लेकर भाजपा हेमंत सोरेन के सामने एक आदिवासी नेता से काउंटर करने की तैयारी में है क्यूंकि की विधानसभा चुनाव ने ये साफ़ कर दिया है की आदिवासी नेता के बिना भाजपा सत्ता में वापसी कर पाने में असफल रही है.

Also Read: झारखंड में NRC नहीं लागू हाेने देंगे, डरने की जरूरत नहीं:-आलमगीर आलम

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की करिश्मायी जोड़ी भी नहीं बचा पायी भाजपा को:

2019 के लोकसभा में झारखण्ड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर कब्ज़ा ज़माने वाली भाजपा विधानसभा में वो करिश्मा नहीं दोहरा पायी। लोकसभा चुनाव में जहाँ केंद्र के मुद्दे हावी थे तो वही विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे लोगो की पसंद बानी लेकिन भजपा ने स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर केंद्र के मुद्दों को भुनाने की कोशिश की लेकिन हुआ उसके बिल्क़ुल उलट. विपक्षी दल झामुमो और हेमंत सोरेन ने स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया और राष्ट्रीय पार्टी को चारो खाने चित कर दिया। हेमंत की लोकप्रियता लगातार लोगो के बीच बढ़ी है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है

Also Read: भारतीय जनता युवा मोर्चा झारखंड प्रदेश और रांची महानगर के संयुक्त तत्वधान में CAA पर लोगों को जागरूक करने के लिए चलाई मुहीम

भाजपा में जाना प्राथमिकता लेकिन कांग्रेस में जाने कोई आधार नहीं:

राजनितिक अटकलों के बीच एक अख़बार ने ये दवा किया है की बाबूलाल मरांडी भाजपा में जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है कुछ दिनों में वो भाजपा के खेमे में देखेंगे। झरखंड विधानसभा में भाजपा के द्वारा अभी तक किसी को नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना गया है इसकी मुख्य वजह बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होना बताया जा रहा है. अख़बार का दवा है की बाबूलाल मरांडी विदेश में और उन्होंने हमसे बातचीत में कहा की कांग्रेस में जा कर राजनीती नहीं सीखनी है. यदि मुझे किसी पार्टी में जाना होगा तो मेरी पहली प्राथमिकता भाजपा होगी। हालांकि विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद हमारे विधायकों ने कांग्रेस में जाने की इच्छा जाहिर की थी बाद में हेमंत सरकार को समर्थन दे दिया। मैंने कभी पद के लालच में राजनीती नहीं की है. सौदेबाजी करना मेरी फितरत मैं नहीं है.

Also Read: झाविमो प्रवक्ता अजीज मुबारकी ने नागरिक संसोधन कानून को बताया असंवैधानिक और गरीब विरोधी

Advertisement
हेमंत सोरेन के बढ़ते कद से घबरा गयी है भाजपा? इसलिए बाबूलाल के सहारे अपने कुनबे को बचाने की कर रही कोशिश 1