धनबाद के पीएमसीएच में मरीजों को आये दिन मुसीबतो का सामना करना पड़ता है. बड़ी सरकारी आस्पताल होने के बावजूद भी प्रशासन की वजह से इसमें मरीजों को सुविधाएँ समय पर नहीं मिला पाती है.
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पीएसमीएच से डिस्चार्ज होने के बाद संरक्षित आदिम जनजाति बिरहोर की प्रसूता को एंबुलेंस के लिए तीन घंटे इंतजार करना पड़ा। प्रसूता के साथ आई सहिया और उसके परिजन अस्पताल में मदद के लिए भटकते रहते। किसी कर्मचारी ने उसकी मदद नहीं की। काफी देर परेशान होने के बाद परिजन अधीक्षक से मिले और उनसे एंबुलेंस देने की गुहार लगाई। हालांकि अधीक्षक डॉ एसके सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था कराकर प्रसूता और परिजनों को तोपचांची के चलकरी स्थित उनके घर भिजवाया।
जानकारी के अनुसार चलकरी निवासी चेतन बिरहोर की 21 वर्षीय पत्नी मनीषा प्रसव के लिए बुधवार को पीएमसीएच के गायनी में भर्ती कराई गई। छोटा ऑपरेशन ने मनीषा ने बेटी को जन्म दिया। शुक्रवार को राउंड पर आई डॉक्टर ने महिला की जांच की और लगभग 12 बजे उसे डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद मनीषा के साथ आई सहिया मालती देवी ने तोपचांची के डॉक्टरों से संपर्क कर उन्हें सहयोग की अपील की। तोपचांची के डॉक्टरों ने मामला पीएमसीएच पर फेंककर अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद लोग एंबुलेंस के लिए पीएमसीएच के लोगों से संपर्क करने लगे। न तो पीएमसीएच के नर्सों ने उसकी मदद की और न कर्मचारियों ने। किसी ने अधीक्षक से मिलने तक की सलाह नहीं दी।
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दोपहल लगभग ढाई बजे अस्पताल के निरीक्षण को निकलने अधीक्षक डॉ एके चौधरी की नजर परेशान परिजनों पर पड़ी। अधीक्षक ने उनसे पूछताछ की। मामला समझने के बाद मनीषा को घर भेजने के लिए एंबुलेंस देने के लिए तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। इसके बाद लगभग तीन बजे एंबुलेंस की व्यवस्था हुई और बिरहोर प्रसूता अपने परिजनों के साथ चलकरी के लिए रवाना हुई।