झारखण्ड राज्य का JPSC और JSSC का हमेश से ही विवादों से गहरा नाता रहा है. अधिकतर मामले किसी न किसी कारण से अदालत तक पहुंच ही जाता है. विपक्ष में रहते हेमंत सोरेन ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर JPSC/JSSC की परीक्षाओ को लेकर आलोचना करते थे लेकिन अब हेमंत सरकार भी कटघरे में खड़ा है. ताजा मामला छठी जेपीएससी को लेकर है. छात्र इसके परिणाम को रोकने की मांग कर रहे है. अब सब की निगाहे हेमंत सरकार के फैसले पर टिकी है.
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आंदोलन कर रहे छात्रों की मांग है की छठी जेपीएससी की बहाली प्रक्रिया में भरी अनियमिता बरती गयी है साथ ही कई ऐसे अधिकारी है जिमके रिश्तेदरों ने इसकी परीक्षा अवैध तरीके से दिए है और छठी जेपीएससी के विज्ञापन में जिन शर्तो की बात कही गयी थी उसका भी पालन नहीं किया गया. अब ऐसे में इसका परिणाम जारी कर दिया गया है और वे लोग नौकरी पा लेंगे तो ये झारखण्ड के विद्यार्थियों के साथ धोखा होगा। छात्रों ने कहा की हेमंत सरकार छठी जेपीएससी को लेकर रघुवर दास को घेरते थे जिस कारण से झारखण्ड की जनता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर हेमंत सोरेन को सत्ता थमा दिया।
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छात्र हेमंत सरकार से मांग कर रहे है की छठी जेपीएससी को रद्द करे और 1932 के खतियान को आधार बना कर झारखण्ड के छात्रों के साथ उनके हक़ में निर्णय ली. जनता अगर सत्ता देना जानती है तो लेना भी जानती है.