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कम खर्च में भी पूरा हो सकता है विदेश में पढ़ने का सपना, जानें स्कॉलरशिप और यूनिवर्सिटी का चुनाव कैसे करें

Shah Ahmad

दुनिया की कुछ बेहतरीन यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई कर अपने कॅरिअर की मजबूत नींव रखना किस स्टूडेंट का ख्वाब नहीं होता? लेकिन कई बार सात समंदर पार स्थित इन यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के इस ख्वाब के रास्ते में मार्क्स या एंट्रेंस एग्जाम्स नहीं, बल्कि पैसा आ जाता है। विदेशी यूनिवर्सिटीज में अप्लाई करने से पहले स्टूडेंट्स को न केवल इनकी फीस, बल्कि उस देश में दो-चार साल तक रहकर पढ़ने के खर्च के बारे में भी सोचना होता है। लेकिन आपको यह जानकर शायद हैरानी हो कि ऐसे भी कुछ रास्ते भारतीय स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध हैं जिनके जरिए वे टॉप फॉरेन यूनिवर्सिटीज में पढ़ने का अपना सपना पूरा कर सकते हैं.

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अगर आपका भी भारत से बाहर जाकर पढ़ने का प्लान है तो यह जानकारी आपके काम आएगी

  • ऐसी यूनिवर्सिटीज में सीधे अप्लाई करें जहां एजुकेशन खर्चीली न हो।
  • एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम्स (ईईपीज) भी सस्ती एजुकेशन पाने के अच्छे तरीके हैं। भारत सरकार ने 50 से भी अधिक देशों से शिक्षा के क्षेत्र में एमओयूज साइन किए हैं जो भारतीय स्टूडेंट्स की आंशिक या पूर्ण स्काॅलरशिप्स पाने में मदद करते हैं।
  • पीएचडी व एमएस स्कॉलर्स, असिस्टेंटशिप के लिए प्रयास कर सकते हैं जिससे वे ग्रेजुएट असिस्टेंट, टीचिंग असिस्टेंट, रिसर्च असिस्टेंट व ग्रेजुएट रिसर्च असिस्टेंट बन सकते हैं।

पढ़ाई के लिए देश का चुनाव करने में मददगार होंगे ये पॉइंट्स

आमतौर पर अलग-अलग देशों में पढ़ने के फायदे भी अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसे में आप अपनी पसंद व परिस्थिति के अनुसार, देश का चुनाव कर सकते हैं।

  • नॉर्वे व स्लोवेनिया जैसे कई देशों की यूनिवर्सिटीज में फीस काफी कम होती है। आप ऐसे देशों में पढ़ाई करने का विचार कर सकते हैं। साथ ही अगर भाषा आपके लिए रुकावट नहीं है तो आप जर्मनी व ब्राजील का भी रुख कर सकते हैं।
  • यूएस में आमतौर पर एमएस के लिए स्कॉलरशिप मिलने की संभावना एमबीए से कहीं अधिक होती है। ऐसे में अपनी डिग्री और उसके लिए स्कॉलरशिप मिलने की संभावना के अनुसार, देश व यूनिवर्सिटी का चुनाव करें।
  • जर्मनी के फ्री अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स के बारे में तो कई स्टूडेंट्स जानते हैं, लेकिन फ्रांस के प्रोग्राम्स के बारे में स्टूडेंट्स इतना नहीं जानते, जहां इंटरनेशनल स्कॉलरशिप्स की संख्या में पिछले कुछ समय में काफी उछाल आया है। ऐसे में सही यूनिवर्सिटीज सलेक्ट करना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • अगर आप कनाडा या न्यूजीलैंड जाने की सोच रहे हैं तो बीस घंटे प्रति सप्ताह तक का पार्ट-टाइम वर्क आपकी स्टूडेंट वीजा पाने में काफी मदद कर सकता है। इससे आप अपनी ट्यूशन फीस को काफी हद तक कवर कर सकते हैं।
  • जर्मनी, पोलैंड, स्लोवेनिया व नॉर्वे में आपको फीस से छूट मिल सकती है।
  • न्यूजीलैंड व कनाडा में वर्क-स्टडी अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है जिसके जरिए आप ट्यूशन फीस से बच सकते हैं या स्पॉन्सर्ड एजुकेशन भी प्राप्त कर सकते हैं।
  • स्वीडन व नॉर्वे जैसे देशों में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए गवर्नमेंट-फंडेड स्कॉलरशिप्स अच्छा सहारा बन सकती हैं।
  • यूएस में आपको स्कॉलरशिप्स मिलने की अच्छी संभावनाएं होती हैं। ऐसे में कॅरिअर में जल्दी अप्लाई करने से भी आपको अच्छी स्कॉलरशिप्स मिल सकती हैं

ऐसे पाएं स्काॅलरशिप्स व बर्सरीज

  • आमतौर पर स्टूडेंट्स सोचते हैं कि विदेश में पढ़ाई करना एक बहुत ही खर्चीला ऑप्शन है। लेकिन इस मामले में स्कॉलरशिप्स व बर्सरीज आपकी सहायता कर सकती हैं।
  • स्कॉलरशिप्स दो प्रकार की हाेती हैं – एक वे जिनमें ट्यूशन फीस से छूट प्रदान की जाती है और दूसरी वे जिनमें स्टूडेंट्स के रहने का खर्च वहन किया जाता है। आप अपनी परिस्थिति के अनुसार, इनमें से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं।
  • आप ऐसी यूनिवर्सिटीज के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं जो अपने एंट्रेंस टेस्ट्स कंडक्ट करती हैं और उनमें से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप्स भी उपलब्ध करवाती हैं।
  • अगर आप जीमैट, जीआरई व सैट जैसे एग्जाम्स में काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आपको ट्यूशन फीस भरने के लिए अच्छी स्कॉलरशिप्स मिल सकती हैं।
  • एक फॉर्मल वर्क एक्सपीरिएंस आपको अन्य कैंडिडेट्स पर बढ़त दे सकता है। अगर आपके पास इंटर्नशिप जैसा कोई अनुभव है तो वह आपकी स्कॉलरशिप्स पाने में काफी सहायता कर सकता है। वहीं इनलाक्स शिवदासानी फाउंडेशन जैसी स्कॉलरशिप्स भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अब्रॉड स्टडी में काफी मददगार साबित हो सकती हैं।
  • बर्सरी एक तरह का मॉनेटरी अवॉर्ड होता है जो स्काॅलरशिप्स से इस मायने में अलग होता है कि जहां स्कॉलरशिप्स मेरिट आधारित होती हैं, वहीं बर्सरीज आर्थिक जरूरत पर आधारित होती हैं। जरूरतमंद स्टूडेंट्स इनके लिए भी प्रयास कर सकते हैं।