झारखंड की हेमंत सरकार एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ इसी बजट सत्र के दौरान ही प्रस्ताव पास कराने की तैयारी में है। इसके साथ ही जनगणना से पहले आदिवासी समाज की बहुप्रतीक्षित मांग ‘सरना धर्म कोड’ को लेकर प्रस्ताव भी इसी मौजूदा सत्र में लाया जा सकता है। सरकार दोनों ही बिंदुओं पर गंभीरता से काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में एनडीए सरकार के द्वारा प्रस्ताव पास कराये जाने से हेमंत सरकार को इस मसले पर मजबूती मिली है। साथ ही हेमंत सरकार ने बीते साल वनाधिकार अधिनियम के तहत जंगलो से बेघर हुए आदिवासियों की समस्याओ का अध्ययन कर एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास करने का निर्णय लिया है। बताते चले की बीते साल झारखंड समेत देश के जंगलो में रहने वाले लाखो आदिवासियों को जंगलो से बेदखल करने का फरमान सुनाया गया था।

इन आदिवासियों के पास जरुरी कागजात नहीं होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्हे जंगलो से बेदखल करने का फैसला सुनाया गया था। सरकार को इस बात की चिंता है की सूबे में बड़ी संख्या में आदिवासी और दलित समाज के गरीबो के पास एनआरसी को लेकर जरुरी कागजात नहीं होने की स्थिति में उन्हें दिक्कते झेलनी पड़ सकती है। इसके अलावा देश में एक बड़ी आबादी एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ आन्दोलनरत्त है। जिसे देखते हुए सरकार एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ मौजूदा सत्र में ही प्रस्ताव पास करा सकती है। इसके अलावा एनपीआर को 2010 के प्रारूप के अनुसार ही राज्य में लागू करने को लेकर प्रत्साव पास किया जायेगा। बताते चले की देश के ग्यारह राज्यों ने अबतक एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा है, जिसमे बीजेपी शासित बिहार और तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी अन्नाद्रमुक भी शामिल है।
गृह मंत्री अमित शाह के बयान से संशय की स्थिति :
उल्लेखनीय है की बीते साल टाइम्स नाउ को दिए अपने इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनआरसी के संदर्भ में कहा था की एनआरसी में आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड से नागरिकता साबित नहीं होती। इसके बाद से ही देशभर में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया था की आखिर एनआरसी में नागरिकता साबित करने का पैमाना क्या होगा। हालांकि प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा जारी किये गए जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर ही एनआरसी में नागरिकता साबित हो सकेगी, ऐसे में जाहिर है की देश की एक बड़ी आबादी, जिनमे आदिवासी और दलित शामिल है, उन्हें नागरिकता साबित करने में दिक्कते आएंगी।