झारखण्ड में लॉकडाउन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा घोषित लॉकडाउन के पहले ही 14 अप्रैल तक घोषित की जा चुकी थी. एक बड़ी संख्या में झारखण्ड के प्रवासी मजदुर जो अन्य राज्यों में मजदूरी करते थे उनके सामने भोजन और रहने की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है. राज्य सरकार ने झारखण्ड के बाहर फंसे मजदूरों को मदद पहुँचाने के लिए विशेष अभियान चला कर उन तक भोजन की सामग्री भेज रही है जिसमे दूसरे राज्य के अधिकारी और मुख्यमंत्री उनका पूरा साथ निभा रहे है.
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राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राज्य में कोरोनावायरस से मुकाबला करने के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण के लिए वे राष्ट्रपति से अनुरोध करेंगी. झारखंड में कोरोना के चार मामले सामने आ चुके हैं. इनमें तीन महिलाएं शामिल हैं. लॉकडाउन समाप्त होने के बाद बाहर फंसे लोग राज्य वापस आएंगे. ऐसे में उनके लिए पहले से तैयारी करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को जानकारी दी कि केंद्र सरकार की ओर से पांच हजार पीपीई थर्मो स्कैनर 100, एन-95 मास्क 25 हजार प्राप्त हुए हैं. सरकार के सूचना केंद्र राज्य व राज्य के बाहर फंसे लोगों के लिए चौबीसों घंटे कार्यरत हैं. इसके लिए 15 सीनियर आईएएस अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया गया है. करीब छह लाख 94 हजार लोग बाहर फंसे हुए हैं. इनमें सबसे अधिक लोग महाराष्ट्र में फंसे हुए हैं. राज्य सरकार ने बाहर फंसे 60 से 70 प्रतिशत लोगों तक अपनी पहुंच बना रखी है.
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सीएम ने बताया कि राज्य के अंदर सभी जरूरतमंदों को पंचायत और थाना स्तर पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. मुख्यमंत्री दाल भात योजना पूर्व की तरह संचालित है. राज्य में अनाज की कमी नहीं है. सभी पंचायत के मुखिया को अनाज हेतु 10-10 हजार रुपए उपलब्ध कराए गए हैं.
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मुख्यसचिव सुखदेव सिंह ने बताया कि राज्य में कोरोना जांच के लिए चार मशीन फिलहाल काम कर रही हैं. इनमें दो रांची और दो जमशेदपुर में हैं. अन्य चार मशीन जल्द स्टॉल कर ली जाएंगी, उसके बाद जांच कार्य आरम्भ किया जाएगा. 15 हजार टेस्ट किट राज्य में उपलब्ध हैं. रांची के हिंदपीढ़ी में संक्रमण प्रभावित पहले मरीज के संपर्क में आनेवाले 74 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है. 300 अतरिक्त वेंटिलेटर मंगाए जा रहे हैं. 15 फरवरी तक बाहर से एक लाख 73 हजार लोग झारखण्ड आये, जिसमें से एक लाख 45 हजार को होम क्वारंटाइन किया गया है.