झारखंड में नगर निकाय चुनाव की घोसना अभी नहीं हुई है. लेकिन चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग नगर निकाय चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है. वहीं रांची समेत अनुसूचित जिलों के कई नगर निकाय में पहले से अनुसूचित जनजाति के आरक्षित महापौर/ अध्यक्ष के पद को अनुसूचित जाति अथवा सामान्य घोषित कर दिए फैसले से नया विवाद शुरू हो गया है. इस फैसले पर विभिन्न आदिवासी संघटनो ने नाराजगी जताई है.
आज मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की के नेतृत्व में राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा भारत, आदिवासी जन परिषद, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी सेना, आदिवासी लोहरा समाज, जन आदिवासी केंद्रीय परिषद, झारखंड क्षेत्रीय पाड़हा समिति, कांके रोड सरना समिति, राष्ट्रीय आदिवासी मुंडा परिषद, एचईसी विस्थापित मोर्चा और 22 पाड़हा चेटे संघा के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मुख्यमंत्री को इस बात से अवगत कराया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आगामी नगर निकाय चुनाव को लेकर नगर निगम/ नगर पर्षद/ नगर पंचायत के एकल पद – महापौर/ अध्यक्ष को आरक्षित करने में कई त्रुटियां हैं। रांची समेत अनुसूचित जिलों के कई नगर निकाय में पहले से अनुसूचित जनजाति के आरक्षित महापौर/ अध्यक्ष के पद को अनुसूचित जाति अथवा सामान्य घोषित कर दिया गया है। यह संविधान के प्रावधानों के अनुकूल भी नहीं है । यह आदिवासी जनमानस की भावनाओं के भी खिलाफ है। सरकार अनुसूचित जिलों के नगर निकायों के एकल पद आरक्षण के मामले में उचित और कानून संगत कदम उठाए। इस मौके पर मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे मौजूद थे।