Ranchi: भाजपा भले ही आज ओबीसी वर्ग के हितों की बात करती हो, लेकिन सच्चाई यही है कि झारखंड में इस वर्ग को आरक्षण से महरूम रखने का काम इसी पार्टी ने किया है। झारखंड में यह वर्ग आज अपने सामाजिक न्याय के लाभ से वंचित हैं। सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए आरक्षण एक प्रयोग है। सीएम हेमंत सोरेन इसे भली-भांति जानते हैं। करीब 20 साल पहले बाबूलाल मरांडी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किया था। आज जब हेमंत सोरेन सरकार ने आरक्षण को 27 प्रतिशत करने के लिए विधानसभा से एक विधेयक पेश किया तो भाजपा ने एक साजिश के तहत उसे रोकने का काम किया। जिस ओबीसी को सामाजिक न्याय दिलाने की हेमंत सोरेन ने कोशिश की, उससे जुड़े 30 संघ को सीएम ने संबोधित किया है। यह संबोधन हेमंत सोरेन ने सामाजिक न्याय महासंघ की दूसरी राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में किया है।
ओबीसी वर्ग के लिए आगे आने के हेमंत सोरेन की मांग का दिखा असर – बना INDIA गठबंधन।
इससे पहले अप्रैल 2023 को सामाजिक न्याय महासंघ की पहली राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसटी, एससी, माइनॉरिटी, ओबीसी एवं महिलाओं के हक-अधिकारों की सुरक्षा की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि देश में आज लोकतंत्र खतरे में है। आज हम सामाजिक न्याय को लेकर चिंतित हैं। केंद्र सरकार और भाजपा की गलत नीति और निर्णयों के वजह से देश की लोकतांत्रिक ढांचा ध्वस्त होती दिख रही है। इसके खिलाफ पूरे विपक्ष के एक साथ आकर सामाजिक न्याय की मांग उठानी चाहिए। हेमंत सोरेन के इस मांग का ऐसा समर्थन मिला कि आज भाजपा के खिलाफ विपक्ष का साझा INDIA गठबंधन बना है।
देशभर के ओबीसी वर्ग भी भाजपा की नीतियों से ठगा महसूस कर रहे हैं।
भाजपा नीतियों से न केवल झारखंड बल्कि देश भर के ओबीसी वर्ग आज हासिए पर है।
विपक्षी गठबंधन INDIA के कई घटक दल आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए जाति जनगणना की मांग मोदी सरकार से कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार का इसपर कोई रुख स्पष्ट नहीं है। अगस्त 2019 में जब जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया तब भाजपा इससे प्रदेश के लोगों को होने वाले फायदों के बारे में जमकर प्रचार किया था। बताया था कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर के पिछड़े वर्ग के लोगों खासकर ओबीसी वर्ग को अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तर्ज पर आरक्षण व अन्य लाभ मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।