Jharkhand: झारखंड के सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) जाली सर्टिफिकेट पर भी काम कर रहे हैं, इसका खुलासा होने लगा है। इसकी वजह से कोई नौकरी छोड़ रहा है तो कोई अपने प्रमाणपत्रों की जांच ही नहीं करा रहा। सर्टिफिकेट जांच की प्रक्रिया अप्रैल से शुरू हुई है तब से 232 पारा शिक्षकों ने नौकरी छोड़ दी है। वहीं, 170 ने सर्टिफिकेट ही जमा नहीं कराया। इसका खुलासा गुरुवार को शिक्षा विभाग में आयोजित बैठक में हुआ।
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव के. रवि कुमार ने बताया कि बैठक में यह तथ्य सामने आया कि जाली प्रमाणपत्रों पर काम कर रहे पारा शिक्षक सर्टिफिकेट जांच से पहले ही नौकरी छोड़ रहे हैं। अब तक 232 ने नौकरी छोड़ी है। इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है। वहीं, 170 समेत वैसे सहायक अध्यापक जिन्होंने सर्टिफिकेट जांच के लिए आवेदन नहीं किया है, उन्हें पांच दिसंबर तक का मौका दिया जा रहा है। वे पांच दिसंबर तक सर्टिफिकेट जमा करें, नहीं तो जनवरी से मानदेय नहीं मिलेगा। इसके साथ ही उनकी सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी, शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव अभिजीत सिन्हा समेत सभी क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक, डीईओ, डीएसई और विभागीय पदाधिकारी मौजूद थे।
248 सहायक शिक्षक लापता, विभाग कर रहा तलाश:
राज्य के 248 सहायक शिक्षक लापता हो गए हैं। वे न स्कूल आ रहे हैं, न बच्चों को पढ़ा रहे हैं । ऐसे शिक्षकों की विभाग तलाश करेगा। शिक्षा सचिव ने बताया कि जो 248 शिक्षक लापता हैं उन्हें खोजा जाएगा। वे क्यों स्कूल नहीं आ रहे हैं, इसका कारण पता किया जाएगा। ये शिक्षक मिले तो उन्हें बच्चों के पठन-पाठन में लगाया जाएगा। नहीं मिलने पर उन्हें हटाने की दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
ई-विद्यावाहिनी में हाजिरी पर ही मिलेगा वेतन व मानदेय
राज्य के शिक्षक ई-विद्यावाहिनी में अनिवार्य रूप से हाजिरी बनाएंगे। जनवरी से ई-विद्यावाहिनी में ऑनलाइन हाजिरी बनाने वाले शिक्षकों को वेतन और मानदेय का भुगतान किया जाएगा। शिक्षा सचिव ने आरजेडीई, डीईओ व डीएसई के माध्यम से सभी सहायक शिक्षक व सहायक अध्यापकों को निर्देश दिया है कि वे ई-विद्यावाहिनी से ही हाजिरी बनाएं।
गैर शैक्षणिक काम नहीं, शिक्षक बीएलओ का काम नहीं करेंगे:
शिक्षा सचिव ने निर्देश दिया कि पांच जनवरी 2023 के बाद कोई भी शिक्षक बीएलओ का काम नहीं करेंगे। वे गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे। वे एक बार गुरु-गोष्ठी में शामिल होंगे। वे स्कूलों में सिर्फ बच्चों को पढ़ाएंगे। इसके साथ-साथ स्कूली बच्चों के जाति प्रमाणपत्र, छात्रवृत्ति, पोशाक, स्कूल किट का लाभ दिलाने में सहयोग करेंगे।