रांची : कहा जाता है कि जिस राज्य या समाज में महिलाओं (विशेषकर गर्भवती महिला) और नौनिहालों का स्वास्थ्य सही नहीं होता है, वह राज्य या समाज कभी भी विकसित होने का दावा नहीं कर सकता. महिलाओं और नौनिहालों में कुपोषण की समस्या एक आम बात है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. इन्हें कुपोषण से मुक्त दिलाने के लिए ही आंगनबाड़ी केंद्रों की संकल्पना लायी गयी थी. पिछले तीन सालों से हेमंत सरकार इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है. राज्य की बागोडर संभालने के साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं इन आंगनबाड़ी केंद्रों और यहां पर काम कर रही सेविका और सहयिकाओं के हितों के बारे में सोचते दिखे हैं. पिछले दिनों इन सेविका और सहायिकाओं के मानदेय बढ़ोतरी और इनके सेवा नियमावली इसका जीता जागता सबूत है.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर हेमंत सोरेन सरकार के मेहरबान होने का प्रमाण.
आखिर, आंगनबाड़ी केंद्रों में हेमंत सरकार क्यों मेहरबान है, इसे हम निम्न बातों से समझ सकते हैं.
- हेमंत सरकार अब आंगनबाड़ी केंद्रों के गैस सिलेंडर के लिए 1060 रुपए और कनेक्शन के लिए 750 रुपए देगी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मानना है कि आर्थिक मदद मिलने से केंद्रों को गैस सिलेंडर मिलने में आर्थिक समस्या कोई बाधा नहीं बनेगी. इससे सेविका-सहायिका और वहां पर पलनेवाले बच्चे को धुएं से बचाने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है. इसके लागू होने से आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को स्वच्छ माहौल में गर्म भोजन ससमय मिल पायेगा. सेविकाओं और सहायिकाओं बहनों को साथ ही प्रदूषण से निजात मिलेगी. - आंगनबाड़ी केंदों को बर्तन और रखऱखाव के लिए साल में छह हजार रूपए मिलेंगे. इससे खाना बनाने और केंद्र आने वाले बच्चों को खाना मिलने पर कोई परेशानी नहीं आएगी.
आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली, पानी और शौचालय समेत सभी मूलभूत सुविधाएं देगी सरकार.
मुख्यमंत्री का जोर राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूरी तरह से सुजज्जित करने पर भी है. उन्होंने कहा है कि केंद्रों में बिजली – पानी और शौचालय समेत सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन केंद्रों में काम कर रही 78,000 आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को यह भरोसा दिलाया है कि इनके सुरक्षित भविष्य के लिए मानदेय एवं सुविधाओं को लेकर सरकार आगे भी ठोस निर्णय लेती रहेगी. इसके लिए संसाधन की जरूरत पड़ेगी, सरकार का जोर इसकी ओर भी है. बता दें कि इस जोर की एक कड़ी में पिछले माह सेविका- सहायिकाओं के चयन एवं मानदेय (अन्य शर्तों सहित) नियमावली-2022 को लागू करने का है. इसके अंतर्गत सभी 78,000 सेविका – सहायिकाओं के मानदेय में जबरदस्त बढ़ोतरी की गयी है.
नौनिहालों को कुपोषण मुक्त करने का प्रयास, अब 32 लाख बच्चों को हफ्ते में पांच दिन अंडा.
नौनिहालों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के हित में एक फैसला किया है. सरकार अब आंगनबाड़ी केंद्रों की तरह सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को पांच अंडा देगी. यह अंडा कक्षा 1 से 8 तक के कक्षा के बच्चों को मिलेगा. इससे इन स्कूलों में पढ़ने वाले 32 लाख बच्चों को सीधे-सीधे फायदा होगा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया है. जो बच्चे अंडा नहीं खाते हैं, उन्हें सरकार फल देगी. बच्चों को यह अंडा पीएम पोषण शक्ति निर्माण के तहत दी जाएगी.
कोरोना काल में महिलाओं की भूमिका की हेमंत सोरेन ने की हैं तारीफ.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कई बार सार्वजनिक मंच से तारीफ करते हुए कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कर रही महिलाओं का समर्पण भाव ही था कि कोविड की पहली लहर से लेकर अब तक हर समय यह अग्रिम पंक्ति में रहीं. घर – घर तक पोषाहार पहुंचाया गया. गर्भवती, धात्री महिलाओं व गर्भस्थ, नवजात शिशु के पोषण की देखरेख का काम तो किया ही, कोरोना मरीजों की ट्रेसिंग, मेडिसिन किट वितरण और फिर टीकाकरण में सहयोग भी किया.