
Jharkhand News : झारखंड विधानसभा में आज एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई, जब आदिवासी समन्वय समिति भारत (असम) का प्रतिनिधिमंडल चाय बागान क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी परिवारों की समस्याएँ लेकर CM Hemant Soren तक पहुंचा। प्रतिनिधियों ने Hemant Soren को बताया कि असम सरकार की उदासीन नीतियों के कारण आदिवासी समुदाय बदहाल स्थिति में जीवन गुजार रहा है। शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य और सामाजिक मान-सम्मान के मामलों में समुदाय लगातार पिछड़ता जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान झारखंड के आदिवासी परिवारों को असम ले जाकर बसाया गया था, लेकिन आज भी उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। Hemant Soren ने उनकी बात गंभीरता से सुनते हुए भरोसा दिलाया कि झारखंड सरकार उनके हक, अधिकार और पहचान की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री Hemant Soren ने बैठक के दौरान साफ कहा कि आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परंपरा और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि असम में रह रहे आदिवासी समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए झारखंड सरकार पूरी तत्परता के साथ उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि जल्द ही झारखंड सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल असम दौरे पर जाएगा, जो वहां की स्थिति का वास्तविक आकलन करेगा और रिपोर्ट पेश करेगा। बैठक में चाय बागानों में काम कर रहे आदिवासियों को एसटी का दर्जा दिलाने की मांग भी प्रमुख रही, जिस पर मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा कि इस दिशा में झारखंड सरकार लगातार प्रयासरत है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर नेतृत्व करें, ताकि असम के आदिवासियों की आवाज केंद्र और राज्य सरकारों तक मजबूती से पहुंच सके। इस अवसर पर अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री चमरा लिंडा के साथ-साथ समिति के सदस्य—जीतेन केरकेट्टा, बिरसा मुंडा, तरुण मुंडा, गणेश, अजीत पूर्ति, राजेश भूरी, बाबूलाल मुंडा और मंगल हेंब्रम सहित कई लोग उपस्थित रहे। प्रतिनिधियों ने उम्मीद जताई कि झारखंड सरकार की पहल से चाय बागानों में काम कर रहे आदिवासी परिवारों के दैनिक वेतन में वृद्धि, भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान और उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
