Jharkhand: झारखंड में एक बार फिर से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बयानबाजी शुरू हुआ है। आश्चर्य तब होता है जब यह बयानबाजी उस नेता के द्वारा किया जा रहा है जो खुद कभी यह आरोप लगाते थे कि भाजपा की कार्यशैली के कारण झारखंड मॉब लिचिंग का पैड बन गया है। हम बात कर रहे हैं, 14 साल तक अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के हितैषी बन भाजपा पर लगातार आरोप लगाने वाले वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की। अपनी संकल्प यात्रा के दौरान संथाल परगना में उन्होंने हेमंत सरकार पर कथित आरोप लगाया है कि तीन साल में 5 से अधिक मुस्लिम युवकों की मॉब लिंचिंग में हत्या की गई है।
शांति लाने के हेमंत सरकार के प्रयास में भाजपा बन रही रोड़ा।
दरहसल बाबूलाल यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि हेमंत सरकार ने अपने चुनावी वादों के तहत मॉब लिंचिंग कानून विधेयक को विधानसभा से पारित करा राजभवन भेजा था, लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे एक काला कानून बताते हुए साजिश के तहत राजभवन से सरकार को वापस करा दिया। हकीकत यही है कि 2014 से 2019 झारखंड की सत्ता में रही भाजपा सरकार एक तुष्टिकरण की नीति के तहत मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कोई कानून ही नहीं बनाना चाहती थी। हेमंत सरकार ने कानून बनाकर झारखंड में शांति व्यवस्था बनाना की कोशिश की तो भाजपा एक साजिश के तहत इसमें पर रोड़ा बन रही है।
भाजपा की चाल चरित्र से सभी वाकिफ, बाबूलाल ने तो मुसलमानों को बड़ा धोखा दिया।
अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के प्रति भाजपा नेताओं की सोच और चाल-चरित्र कैसा है, इससे सभी वाकिफ है। लेकिन बाबूलाल मरांडी के धोखे से यह वर्ग पूरी तरह से अनजान था। दरअसल जब बाबूलाल जेवीएम सुप्रीमो थे, तो उन्होंने मुसलमानों के हितैषी बनने का ढ़ोग रचा। अपने आसपास उन्होंने मुसलमान कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में रखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब कोडरमा और गोड्डा सीट पर जेवीएम चुनाव लड़ी थी, तब उन्होंने मुसलमान हितैषी बनने का दावा किया। इसी तरह राजधनवार सीट से विधानसभा चुनाव जीता तो मुसलमान वोटरों का भी समर्थन मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें झामुमो-कांग्रेस-राजद का समर्थन हासिल था। लेकिन 2020 में जब बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए, तो उन्होंने शीर्ष भाजपा नेताओं के साथ मिलकर राजभवन से हेमंत सरकार के लाए मॉब लिंचिंग विधेयक लागू नहीं होने दिया।
झारखंड में एक बार फिर से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बयानबाजी शुरू हुआ है। आश्चर्य तब होता है जब यह बयानबाजी उस नेता के द्वारा किया जा रहा है जो खुद कभी यह आरोप लगाते थे कि भाजपा की कार्यशैली के कारण झारखंड मॉब लिचिंग का पैड बन गया है। हम बात कर रहे हैं, 14 साल तक अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के हितैषी बन भाजपा पर लगातार आरोप लगाने वाले वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की। अपनी संकल्प यात्रा के दौरान संथाल परगना में उन्होंने हेमंत सरकार पर कथित आरोप लगाया है कि तीन साल में 5 से अधिक मुस्लिम युवकों की मॉब लिंचिंग में हत्या की गई है।
शांति लाने के हेमंत सरकार के प्रयास में भाजपा बन रही रोड़ा।
दरहसल बाबूलाल यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि हेमंत सरकार ने अपने चुनावी वादों के तहत मॉब लिंचिंग कानून विधेयक को विधानसभा से पारित करा राजभवन भेजा था, लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे एक काला कानून बताते हुए साजिश के तहत राजभवन से सरकार को वापस करा दिया। हकीकत यही है कि 2014 से 2019 झारखंड की सत्ता में रही भाजपा सरकार एक तुष्टिकरण की नीति के तहत मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कोई कानून ही नहीं बनाना चाहती थी। हेमंत सरकार ने कानून बनाकर झारखंड में शांति व्यवस्था बनाना की कोशिश की तो भाजपा एक साजिश के तहत इसमें पर रोड़ा बन रही है।
भाजपा की चाल चरित्र से सभी वाकिफ, बाबूलाल ने तो मुसलमानों को बड़ा धोखा दिया।
अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के प्रति भाजपा नेताओं की सोच और चाल-चरित्र कैसा है, इससे सभी वाकिफ है। लेकिन बाबूलाल मरांडी के धोखे से यह वर्ग पूरी तरह से अनजान था। दरअसल जब बाबूलाल जेवीएम सुप्रीमो थे, तो उन्होंने मुसलमानों के हितैषी बनने का ढ़ोग रचा। अपने आसपास उन्होंने मुसलमान कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में रखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब कोडरमा और गोड्डा सीट पर जेवीएम चुनाव लड़ी थी, तब उन्होंने मुसलमान हितैषी बनने का दावा किया। इसी तरह राजधनवार सीट से विधानसभा चुनाव जीता तो मुसलमान वोटरों का भी समर्थन मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें झामुमो-कांग्रेस-राजद का समर्थन हासिल था। लेकिन 2020 में जब बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हुए, तो उन्होंने शीर्ष भाजपा नेताओं के साथ मिलकर राजभवन से हेमंत सरकार के लाए मॉब लिंचिंग विधेयक लागू नहीं होने दिया।
2021 में सदन से पास हुआ था मॉब लिंचिंग विधेयक, सीएम ने कहा था – समाज की समरसता कायम करने के लिए जरूरी।
बता दें कि दिसंबर 2021 को झारखंड विधानसभा से हेमंत सरकार ने ‘झारखंड भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक-2021’ पास कराया था। इसके मुताबिक मॉब लिंचिंग में मौत होने की स्थिति में इसके लिए दोषी पाए गए अभियुक्तों को कठोर आजीवन कारावास की सज़ा मिलती। साथ ही आरोपी पर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता। सजा का प्रावधान अलग-अलग प्रकार का था। सदन से पास होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना था कि झारखंड राज्य में मॉब लिंचिंग में मारे गए लोगों में सभी जातियों और धर्मो के लोग शामिल थे। उनकी सरकार का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना और दोषियों को कड़ी सज़ा दिलवाना है ताकि समाज की समरसता कायम रहे।
बता दें कि दिसंबर 2021 को झारखंड विधानसभा से हेमंत सरकार ने ‘झारखंड भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक-2021’ पास कराया था। इसके मुताबिक मॉब लिंचिंग में मौत होने की स्थिति में इसके लिए दोषी पाए गए अभियुक्तों को कठोर आजीवन कारावास की सज़ा मिलती। साथ ही आरोपी पर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता। सजा का प्रावधान अलग-अलग प्रकार का था। सदन से पास होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना था कि झारखंड राज्य में मॉब लिंचिंग में मारे गए लोगों में सभी जातियों और धर्मो के लोग शामिल थे। उनकी सरकार का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना और दोषियों को कड़ी सज़ा दिलवाना है ताकि समाज की समरसता कायम रहे।