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JHARKHAND NEWS : टाटा स्टील के प्रबंधक निदेशक (एमडी) डॉ. जमशेद जे ईरानी का निधन

Bharti Warish

JHARKHAND NEWS : टाटा स्टील के पूर्व प्रबंधk निदेशक (एमडी) डॉ. जमशेद जे ईरानी का सोमवार की रात 10 बजे निधन हो गया। उन्होंने टाटा मेन हॉस्पिटल(टीएमएच) में अंतिम सांस ली। वे 86 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी डेजी ईरानी, एक पुत्र जुबिन, जुबिन, नीलो़फर और तनाज़ को छोड़ गये हैं।


बीते दिन घर के बाथरूम में गिर जाने के बाद से वे बीमार चल रहे थे। उनके सिर में चोट लगी थी। 15 दिन पूर्व उन्हें इलाज के लिए टीएमएच में भर्ती कराया गया था। वे अस्पताल के सीसीयू-3 में भर्ती थे। सोमवार की शाम अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। इलाज के क्रम में कोरोना संक्रमित हो गए थे । हालांकि कुछ दिन बाद ही वे इस संक्रमण मुक्त हो गये थे। संक्रमण के दौरान ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ा था, पर इससे उबर गये थ


डॉ. ईरानी के निधन से लौहनगरी सहित पूरे उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की खबर सुनते ही टाटा स्टील के मेडिकल सर्विसेज के महाप्रबंधक डॉ सुधीर राय, आरएमओ रिंकू भार्गव समेत अन्य वरीय अधिकारी टीएमएच पहुंचे। इसके बाद देर रात तक यहां कंपनी के अधिकारियों के आने का सिलसिला जारी रहा।

उन्होंने 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से विज्ञान स्नातक की डिग्री और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री पूरी की।


उन्होंने 1960 में धातुकर्म में परास्नातक और 1963 में पीएचडी की पढ़ाई इंग्लैंड के शेफील्ड विश्वविद्यालय से पूरी की थी। वे 1963 में शेफील्ड में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन में शामिल हुए थे। उन्हें वहां भौतिक धातुकर्म प्रभाग के प्रमुख के रूप में पदोन्नत किया गया था।

1968 में भारत लौटे बाद में वे भारत लौट आए और अनुसंधान और विकास के प्रभारी निदेशक के सहायक के रूप में 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को, अब टाटा स्टील) में शामिल हो गए।

उन्हें 1978 में महाप्रबंधक, 1992 में प्रबंध निदेशक और 1998 में निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था। वे 2001 में टाटा स्टील से सेवानिवृत्त हुए थे।

टाटा स्टील से सेवानिवृत्त होने के बाद भी ईरानी ने लौहनगरी के अजीब लगाव होने के कारण यहीं रहना उचित समझा। वे हमेशा कहा करते थे कि टाटा स्टील के साथ उन्हें इस शहर से बहुत कुछ मिला था, जिसे भूलना उनके लिए शायद ही संभव है। यही कारण है कि वे शहर के विभिन्न मंच पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहते थे। डॉ. ईरानी जून, 1993 में टाटा मोटर्स के बोर्ड में शामिल हुए और टाटा संस के निदेशक के रूप में भी काम किया।

2004 में, सरकार ने उन्हें भारत के नए कंपनी अधिनियम के गठन के लिए विशेषज्ञ समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। वे 2011 में टाटा की विभिन्न कंपनियों के सभी पदों से सेवानिवृत्त हो गये थे। वे भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी थे।

उन्होंने और उनकी बहन डायना होर्मुसजी ने अपने पिता की याद में सिकंदराबाद के जोरोस्ट्रियन क्लब द्वारा आयोजित एक क्रिकेट टूर्नामेंट जिजी ईरानी चैलेंज कप की स्थापना की थी। शहर की विभिन्न खेल गतिविधियों में उनका अहम योगदान होता था। क्रिकेट से उनका लगाव था, जिसे वे अंत तक जुड़े रहे।


टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ. ईरानी को टाटा स्टील से जुड़ी गतिविधियों से लगाव था। संस्थापक दिवस के अलावा अन्य सभी कार्यक्रमों में शहर में होने पर वे निश्चित तौर पर शामिल होते थे। संस्थापक दिवस पर उनके आने का कंपनी अधिकारी ब्रेसब्री से इंतजार करते थे। इसके अलावा विटेंज कार रैली या अन्य आयोजन में ईरानी की सक्रिय भागीदारी होती थी। शहर से जुड़ी हर गतिविधियों में भी वे खासा दिलचस्पी लेते थे। यही कारण है कि टाटा स्टील से इतर कार्यक्रमों में भी ईरानी मंच की शोभा बढ़ाते थे। टाटा स्टील के अधिकारी भी उनके इस स्वभाव के कायल थ


उन्हें एक दूरदर्शी लीडर के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में भारत के आर्थिक उदारीकरण के दौरान टाटा स्टील का नेतृत्व किया और भारत में इस्पात उद्योग के उन्नति और विकास में अत्यधिक योगदान दिया। डॉ ईरानी भारत में गुणवत्ता आंदोलन के पहले लीडर थे।

उन्होंने टाटा स्टील को गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ दुनिया में सबसे कम लागत वाला स्टील उत्पादक बनने में सक्षम बनाया, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके। प्रसिद्ध मैल्कम बाल्ड्रिज परफॉर्मेंस एक्सीलेंस मानदंड से अपनाए गए कैलिब्रेटेड दृष्टिकोण के माध्यम से शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए 2003 में टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस प्रोग्राम शुरू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।