

Jharkhand News: भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में Jharkhand पवेलियन इस वर्ष देशभर के आगंतुकों का प्रमुख आकर्षण बना हुआ है, जहां राज्य ने तसर उत्पादन में अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया। देश के कुल तसर उत्पादन में 70 प्रतिशत योगदान के साथ झारखंड ने साबित किया है कि प्राकृतिक संपदा, परंपरागत कौशल और तकनीकी सहयोग के सही संतुलन से कैसे आर्थिक क्रांति संभव हो सकती है। 2001 में जहां राज्य का कच्चे तसर रेशम का उत्पादन 90 मीट्रिक टन था, वहीं 2024–25 में यह बढ़कर 1,363 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है। महिलाओं की 50–60 प्रतिशत सक्रिय भागीदारी ने इस उपलब्धि को और अधिक मजबूत आधार दिया है। कोकून संरक्षण, धागा निर्माण और तैयार उत्पादों के निर्माण में उनकी भूमिका ने न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है, बल्कि राज्य को “देश की तसर राजधानी” के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पवेलियन में कोकून से रेशम धागा निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया का लाइव डेमो आगंतुकों के लिए मुख्य आकर्षण बना हुआ है, जो तसर उद्योग की समृद्ध विरासत और महिलाओं की भूमिका को जीवंत रूप से दिखाता है।

झारखंड सरकार के उद्योग विभाग, रेशम निदेशालय, झारक्राफ्ट और JSLPS के सहयोग से राज्य में तसर आधारित आजीविका को नई दिशा देने के प्रयासों को भी IITF में विशेष स्थान दिया गया है। राज्यभर में 100 कोकून संरक्षण केंद्र, 40 परियोजना केंद्र और अनेक कॉमन फ़ैसिलिटी सेंटर महिलाओं, युवाओं और किसानों को प्रशिक्षण और रोजगार का स्थायी आधार प्रदान कर रहे हैं। CFC केंद्रों में एक साथ 30–60 महिलाओं द्वारा उत्पादन और कौशल विकास गतिविधियों से जुड़ना राज्य में महिला-नेतृत्व वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उभार की मजबूत तस्वीर पेश करता है। वहीं झारक्राफ्ट द्वारा प्रदर्शित तसर आधारित हस्तशिल्प, बुनाई कला और तैयार उत्पाद न केवल झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को सामने लाते हैं, बल्कि कारीगरों के आर्थिक सशक्तिकरण की प्रेरक कहानी भी बताते हैं। IITF 2025 में झारखंड पवेलियन तसर की चमक, परंपरा की गरिमा और ग्रामीण विकास की धड़कन को एक साथ जोड़ते हुए एक समग्र विकास मॉडल के रूप में उभर रहा है।









