JHARKHAND NEWS : 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता का बिल झारखंड विधानसभा से पारित हो गया है। झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक,
सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक-2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में रखा। इस विधेयक के मुताबिक वे लोग झारखंड के स्थानीय अथवा मूल निवासी कहे जाएंगे जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है।
जिनका नाम खतियान में दर्ज नहीं होगा अथवा जिनका खतियान खो गया हो या नष्ट हो गया हो ऐसे लोगों को ग्राम सभा सत्यापित करेगी कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं।
भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में ,स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाज, परंपरा आदि के आधार पर की जायेगी।
विधेयक को सदन में पेश करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य विस्तार से रखा गया है। उसे केवल सरकारी नौकरी ही नहीं बल्कि अन्य रोजगारों में भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका दायरा सीमित नहीं होगा बल्कि बड़ा होगा।
उन्होंने कहा कि सदन के जिन भी सदस्यों को शंका है वे आश्वस्त रहें। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के हंगामे के बीच कहा कि हमारी सरकार शीशे की तरह पारदर्शी काम करती है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए सीएम हेमंत ने कहा कि हमारी सरकार आपकी तरह जनता को ठगने का काम नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि हमने जनहित में जो भी फैसला लिया उस पर सवाल नहीं उठे लेकिन बीजेपी द्वारा किया गया हर काम कोर्ट में लटका है।
स्थानीयता विधेयक पर विधायक अमित यादव, विनोद सिंह और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव रखा। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की लेकिन ये खारिज हो गया
1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता का विस्तार पूरे झारखंड में होगा। ये अधिनियम भारत के संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद प्रभावी होगा। स्थानीय व्यक्तियों का अर्थ झारखंड का अधिवास( डोमिसाइल) होगा जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा के भीतर है और उसके या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण /खतियान में दर्ज है।
अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति प्राथमिकता के आधार पर अपने भूमि रिकॉर्ड को बनाए रखने के भी हकदार होंगे जैसा नियम के तहत निर्धारित और विनियमित किया जा सकता है।
इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति राज्य में व्यापार और वाणिज्य के लिए विशेष रूप से पारंपरिक और सांस्कृतिक उपक्रमों से संबंधित स्थानीय वाणिज्यिक सांस्कृतिक उपक्रमों और स्थानीय झीलों/ नदियों / मत्स्य पालन / पर अधिमान्य अधिकार के भी हकदार होंगे।
इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति कृषि ऋण के मामले में राज्य के लाभों के हकदार होंगे जैसा कि नियमों के तहत निर्धारित किया जा सकता है।