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JHARKHAND NEWS ‍: रिम्स में कोविड जांच किट खत्‍म , मोबाइल की रोशनी में हो रहा मरीजों का इलाज

Bharti Warish
JHARKHAND NEWS ‍: रिम्स में कोविड जांच किट खत्‍म , मोबाइल की रोशनी में हो रहा मरीजों का इलाज 1

JHARKHAND NEWS : रिम्स में कोविड संक्रमित मरीज मिलने के बाद चिंता बढ़ गई है। वहीं, कोविड जांच किट उपलब्ध नहीं होने से जांच भी प्रभावित है। रिम्स समेत सदर अस्पताल में कोविड के जांच किट उपलब्ध नहीं है।

सिविल सर्जन डा. विनोद कुमार बताते हैं कि विभाग को किट उपलब्ध कराने को लिखा गया है, लेकिन अब तक नहीं मिली है। ऐसे में जांच प्रभावित हो रही है। रिम्स में मिले मरीज को ट्रामा सेंटर के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है।

नए वैरिएंट बीएफ.7 की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जानी है। लेकिन अब इस जांच के लिए ही परेशानी बढ़ गई है। जांच 96 सैंपल के साथ हो सकती है, जबकि अभी रिम्स के पास पाजिटिव सैंपल एक ही है।

ऐसे में रिम्स के पास पांच करोड़ की जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन होने के बाद भी जांच करना असंभव है। अब सैंपल को भुवनेश्वर या पुणे भेजा जा सकता है। जिसकी रिपोर्ट आने में कम से कम एक माह का वक्त लग सकता है। जबकि जांच रिम्स में ही होती तो रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर आ जाती।

रिम्स माइक्रोबायलाजी विभाग के एचओडी डा. अशोक शर्मा बताते हैं कि एक सैंपल की जांच करना ही असंभव है। एक जांच मशीन से की गई तो काफी अधिक खर्च आएगा। ऐसे में बाहर भेजने के अलावा अभी कोई विकल्प नहीं है।

यदि इंतजार किया गया तो समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पाएगी। लेकिन इसके लिए आइसीएमआर की अनुमति चाहिए। गुरुवार को सैंपल की स्थिति मांगी गई है। कितने सैंपल हैं, जिसकी जांच की जानी है, जो बाहर भेजना होगा उसके लिए आइसीएमआर की टीम ही सैंपल उठाएगी और जांच के लिए बाहर भेजेगी।

रिम्स में दवाओं को लेकर भी मरीज परेशान रहते हैं। ऐसे में नए वैरिएंट को लेकर बड़ी चुनौती पैदा हो सकती है, फिलहाल रिम्स दावा कर रहा है दिक्कत नहीं होने देंगे।

इतना ही नहीं, रिम्‍स को लेकर इसी दौरान एक और मामला सामने आया, जिसमें देर शाम बिजली न होने के चलते मोबाइल की रोशनी में मरीज का उपचार करना पड़ा। गौरतलब है कि रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में देर शाम करीब एक घंटे बिजली गुल रही, जिस कारण मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी।

शाम 8.54 से बिजली देर रात तक कटी रही। इस बीच मरीजों को मोबाइल की रोशनी में नर्सों ने इंजेक्शन दिया और दवाई खिलाई। बिजली गुल होने की खबर के बाद भी प्रबंधन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया। यह दृश्य अपने आप में काफी डराने वाला है। खासकर अस्पताल जहां पर गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा हो। 

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