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Jharkhand News : पीवीटीजी समुदायों के समग्र विकास पर ‘सुपर 60’ सेमिनार में बनी नई रणनीति – नीति आयोग और चार राज्यों के पदाधिकारियों ने साझा किए अनुभव

Megha Sinha
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Jharkhand News : देश के आदिम जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास को लेकर नई रणनीति और ठोस कदमों पर चर्चा के लिए नीति आयोग की ओर से “सुपर 60” सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें Jharkhand, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और ओडिशा के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। नीति आयोग की सचिव रंजना चोपड़ा ने कहा कि अब समय आ गया है कि पीवीटीजी क्षेत्रों में “हाउसहोल्ड सैचुरेशन” को सुनिश्चित किया जाए, ताकि कोई भी परिवार बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली जैसी सुविधाएं हर घर तक पहुंचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को समन्वित प्रयास करने होंगे। चोपड़ा ने बताया कि 2018 में शुरू हुई पीवीटीजी योजना अब सैचुरेशन मोड पर पहुंच रही है, और इसके सकारात्मक परिणाम झारखंड जैसे राज्यों में साफ दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने इस दिशा में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना, क्रेच सुविधा और ग्रामीण कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।

नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन डायरेक्टर रोहित कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि पीवीटीजी योजना सिर्फ विकास कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिम जनजातियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान के माध्यम से उन समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ना है, जो दशकों से विकास की दौड़ में पीछे रह गए थे। रोहित कुमार ने कहा, “विकसित भारत के निर्माण के लिए हमें ग्राउंड लेवल पर सतत प्रयास करने होंगे। पीवीटीजी योजना के माध्यम से हम आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।” उन्होंने राज्यों को सलाह दी कि वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अपने मॉडल तैयार करें और विकास के प्रत्येक आयाम को मापने योग्य लक्ष्यों में परिवर्तित करें, ताकि इन समुदायों को सच्चे अर्थों में सशक्त बनाया जा सके।

झारखंड की योजना एवं विकास सचिव श्री मुकेश कुमार ने सेमिनार में कहा कि मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में राज्य सरकार पीवीटीजी समुदायों के समग्र विकास के लिए कई नवाचारों पर काम कर रही है। ‘डाकिया योजना’ और ‘दीदी की दुकान’ जैसी पहलें इन इलाकों की तस्वीर बदल रही हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के 1276 गांवों में दीदी की दुकानें और 113 गांवों में ‘दीदी का ढाबा’ शुरू किए गए हैं, जिससे महिलाओं को रोजगार मिला है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है। मुकेश कुमार ने कहा कि सड़क, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी योजनाएं सैचुरेशन मोड में लागू की जा रही हैं, ताकि झारखंड का कोई भी आदिम समुदाय विकास से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि “दीदी की दुकान” जैसी योजनाएं न केवल आजीविका को मजबूत कर रही हैं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का सेतु भी बन रही हैं। सेमिनार में पद्मश्री मधु मंसूरी, पद्मश्री जमुना टुडू, पद्मश्री सिमन उरांव, पद्मश्री जागेश्वर यादव और पद्मश्री कमी मुर्मू सहित चार राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।