
Jharkhand News : 29 दिसंबर 2025 को जमशेदपुर के दिशोम जाहेर, करनडीह में होगा समापन समारोह; संथाली भाषा-संस्कृति के संरक्षण पर जोर
Jharkhand News : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन और जाहेरथान कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट कर 22वें संथाली ‘पारसी माहा’ व ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया।
Jharkhand News : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन एवं जाहेरथान कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को 29 दिसंबर, 2025 को जमशेदपुर (दिशोम जाहेर, करनडीह) में आयोजित होने वाले 22वें संथाली ‘पारसी माहा’ तथा ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु सादर आमंत्रण दिया।
भेंट के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने संथाली समाज की सांस्कृतिक, भाषाई और साहित्यिक विरासत को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि ‘पारसी माहा’ संथाली समुदाय का एक प्रमुख सांस्कृतिक पर्व है, जो सामाजिक एकता, परंपरा और लोक-संस्कृति को सुदृढ़ करता है। वहीं, ओल चिकी लिपि के शताब्दी वर्ष का आयोजन संथाली भाषा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव को चिह्नित करता है, जिसने शिक्षा, साहित्य और पहचान के क्षेत्र में समुदाय को नई दिशा दी है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि इस वर्ष का आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह ओल चिकी लिपि के सौ वर्ष पूर्ण होने का प्रतीक है। इस अवसर पर देशभर से संथाली लेखक, साहित्यकार, शोधकर्ता और सांस्कृतिक कर्मी शामिल होंगे। कार्यक्रम के माध्यम से संथाली भाषा में रचनात्मक लेखन, लोककला, संगीत, नृत्य और शोध कार्यों को मंच प्रदान किया जाएगा। साथ ही, नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने पर विशेष फोकस रहेगा।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए आमंत्रण के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि झारखंड की पहचान उसकी विविध जनजातीय संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं से बनती है। राज्य सरकार आदिवासी भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और शिक्षा में उनके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि ने न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में आदिवासी साहित्य को समृद्ध किया है।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि सरकार सांस्कृतिक आयोजनों को सहयोग प्रदान करती रहेगी और आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास को व्यापक मंच देने के प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने ‘पारसी माहा’ जैसे आयोजनों को सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
इस अवसर पर ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन के महासचिव रविंद्र नाथ मुर्मू, सहायक महासचिव मानसिंह मांझी, जाहेरथान कमेटी के कार्यकारी सदस्य सागेन हंसदा एवं शंकर हेंब्रम उपस्थित थे। सभी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को आयोजन की विस्तृत रूपरेखा, संभावित गतिविधियों और अपेक्षित सहभागिता की जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि ‘दिशोम जाहेर, करनडीह’ संथाली समाज का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। यहां आयोजित होने वाला समापन समारोह न केवल सांस्कृतिक उत्सव होगा, बल्कि भाषा, पहचान और अधिकारों पर विमर्श का सशक्त मंच भी बनेगा। आयोजन से जुड़े साहित्यिक सत्र, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां संथाली समाज की समृद्ध परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करेंगी।
