अंग्रेजी राज्य के उच्च न्यायालय की कार्यवाही की भाषा है। झारखंड उच्च न्यायालय की भाषा अब तक हिंदी को नहीं बनाया जा सका है, जबकि देश के कई राज्य जहाँ राजभाषा हिंदी है, हिंदी भाषा को संबंधित उच्च न्यायालयों की कार्यवाही की भाषा के रूप में लागू किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के उच्च न्यायालय शामिल हैं।
राज्यपाल ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में बिहार का उदाहरण देते हुए लिखा है कि झारखंड बिहार से अलग हुआ। झारखंट गठन के पश्चात यहाँ हिंदी राजभाषा ज़रूर बनी पर झारखण्ड उच्च न्यायालय में हिंदी न्यायालय की कार्यवाही की भाषा के रूप में लागू नहीं हुई जबकि बिहार में यह लागू है।
न्याय सर्व सुलभ और स्पष्ट रूप से सबको समझ में आ जाए इसलिए जरूरी है कि भाषा सरल हो। हिंदी भाषा आम आदमी को समझ आती है। झारखंड जैसे राज्य के उच्च न्यायालय में कानूनी प्रक्रियाओं का माध्यम अंग्रेजी होना न्याय को आम आदमी की समझ और पहुँच से दूर बनाता है।
राज्यपाल ने चिट्ठी में अनुच्छेद 348 के खंड (2) में प्रावधान है कि किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों में हिंदी भाषा का या उस राज्य की शासकीय भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकता है। इस चिट्ठी में राज्यपाल ने राष्ट्रपति से इस दिशा में सहयोग औऱ सहमति मांगी है ताकि राज्य हित में राज्यपाल यह फैसला ले सकें।