जोहार, माननीय मुख्यमंत्री नियोजन नीति( Jharkhand Niyojan Niti)एवं नियुक्ति प्रक्रिया पर आपकी राय जानना चाहते हैं. इस विषय पर आपसे जल्द ही संपर्क किया जाएगा. मोबाइल पर इस संदेश के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिकार्डेड आवाज वाली काल आती है, जिसमें वे सवाल करते हैं हम हाईकोर्ट – के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें या जबतक 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति और पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण नीति के विषय को नौंवी अनुसूची में संरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक के लिए 2016 से पहले की नियोजन नीति को बहाल करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं? क्या पूर्व की नियोजन नीति के आधार पर भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए ?
अपना उत्तर हां या नहीं में दें.
सरकार की यह अनूठी कवायद स्थानीयता नीति निर्धारण के लिए की जा रही है. हाई कोर्ट से स्थानीयत इससे संबंधित विधेयक वापसी के बाद सरकार कदम आगे बढ़ाने के पहले उन युवा अभ्यार्थियों की सलाह ले रही है, जिन पर इस फैसले का सीधा प्रभाव पड़ेगा. यह सलाह उन युवाओं से ली जा रही है, जिन्होंने राज्य कर्मचारी चयन आयोग के तहत विभिन्न पदों के लिए निकाली ई बहालियों के लिए आवेदन दिया है. स्थानीयता के गंभीर मुद्दे और राज्य के बड़े राजनीतिक विषय पर आम लोगों से राय लिए जाने की इस प्रक्रिया पर जमकर चर्चा हो रही है.
Jharkhand Niyojan Niti: क्या थी वर्ष 2016 से पहले की नियुक्ति नीति
राज्य सरकार 2016 से पहले की नीति पर भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है. 2016 से पहले की नीति के तहत नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापनों में 50 प्रतिशत पद आरक्षित होते थे. बाकी 50 प्रतिशत (झारखंडी और गैर-झारखंडी) के लिए ओपेन था. अभ्यर्थी जब फॉर्म भरते थे, तो उनसे केवल यह पूछा जाता था कि क्या आप झारखंड राज्य के निवासी है हां या नहीं. अगर हां, तो एक कॉलम में आधार कार्ड नंबर भरने को कहा जाता था.